RSS की तुलना नक्सलियों से करने वाले बयान के पलटवार पर खुद फंसे भाजपा नेता !

RSS की तुलना नक्सलियों से करने वाले बयान के पलटवार पर खुद फंसे भाजपा नेता !

सीएम भूपेश बघेल कवर्धा हिंसा मामले में 13 अक्टूबर को आरएसएस के खिलाफ बयान दिया था. जिसमें उन्होंने आरएसएस की तुलना नक्सलियों से की थी. दरअसल, राज्यपाल के कवर्धा हिंसा मामले पर लिखे पत्र का जवाब देते हुए सीएम बघेल ने कहा कि छत्तीसगढ़ में जैसे नक्सलियों का नेता आंध्रप्रदेश में है और आंध्रप्रदेश  से ही इनका मूमेंट संचालित होता है. वैसे ही छत्तीसगढ़ में आरएसएस  के पास अपनी कोई क्षमता नहीं है. जो चलता है नागपुर से चलता है

रमन सिंह ने सीएम बघेल पर किया था पलटवार

पूर्व सीएम रमन सिंह ने सीएम के आरएसएस वाले बयान पर कहा कि आरएसएस के प्रति ऐसा कहना मुख्यमंत्री की ओछी मानसिकता का प्रतीक है. जिसको जैसे संस्कार मिलते हैं, संस्कार के अनुरूप ही अभिव्यक्ति का तरीका  स्पष्ट होता है. मुझे लगता है कि आरएसएस के प्रति जो भावना व्यक्त की गई है, वह मुख्यमंत्री की ओछी मानसिकता का प्रतीक है. आरएसएस संगठन देश में न केवल हर कठिन परिस्थिति में बल्कि बाढ़, आपदा और तूफान में भी लोगों की मदद में सबसे आगे यह संगठन रहता है. इसी बयान में रमन सिंह ने गलत आंकड़े और तथ्य पेश कर दिए. उन्होंने पलटवार करते हुए कहा कि शायद भूपेश बघेल जी को नहीं मालूम की 1965 में पंडित जवाहरलाल नेहरू ने आरएसएस को गणतंत्र दिवस परेड  में शामिल होने का निमंत्रण दिया था.

न 1962 ना ही 1965, सन 1963 में पंडित नेहरू ने आरएसएस को दिया था न्यौता

हालांकि पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह ने अपने ट्विटर हैंडल पर यह ट्वीट किया कि "भूपेश जी को नहीं मालूम-नेहरू जी ने 1962 में आरएसएस को गणतंत्र दिवस की परेड में आने का न्योता दिया था. साथ ही उन्होंने मीडिया को दिये अपने बयान में कहा कि नेहरू जी ने सन 1965 में आरएसएस को गणतंत्र दिवस परेड में आने का न्योता दिया था.

आपको बता दें कि रमन सिंह के ये दोनों ही आंकड़े गलत हैं. फैक्ट यह है कि सन 1963 में नेहरू जी ने आरएसएस को गणतंत्र दिवस की परेड में आने का न्योता दिया था. सीएम भूपेश बघेल पर रमन सिंह ने पलटवार तो किया. लेकिन ऐतिहासिक तथ्य गलत पेश कर वह फंस गए. अब इस मसले पर राजनीति तेज है. रमन सिंह का यह बयान उनके निमंत्रण के साल को लेकर चर्चा में है. क्योंकि पंडित जवाहरलाल की मौत 27 मई 1964 को हुई थी तो उन्होंने साल 1965 में होने वाले गणतंत्र दिवस के लिए आरएसएस को निमंत्रण कैसे भेजा? पंडित जवाहरलाल नेहरू ने साल 1963 में आरएसएस को गणतंत्र दिवस परेड में शामिल होने का निमंत्रण दिया था.

कांग्रेस ने बोला जोरदार हमला

कांग्रेस ने इसे मुद्दा बनाते हुए भाजपा पर जोरदार हमला बोला है. कांग्रेस मीडिया विभाग के प्रदेश अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि भाजपा का काम ही है झूठ को इतनी बार बोलो कि लोग उसे सच समझने लगें. लेकिन इसके बावजूद भी अपने झूठ को सच साबित करने में नाकाम रहते हैं और इसी तरह का कुछ बयान पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने हाल ही में दिया है, जिसमें उन्होंने यह कहा है कि साल 1965 में पंडित जवाहरलाल नेहरू ने आरएसएस को गणतंत्र दिवस की परेड के लिए आमंत्रित किया था. जबकि पंडित जवाहरलाल नेहरु की मृत्यु 27 मई 1964 को गई थी.

आरएसएस के वरिष्ठ स्वयंसेवक सच्चिदानंद उपासने ने कांग्रेस को खुद का इतिहास जानने की सलाह दी है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस की स्थापना ही एक अंग्रेज के द्वारा की गई है और वर्तमान में यह कांग्रेस पार्टी  इटली से संचालित हो रहा है. सच्चिदानंद उपासने ने कहा कि महात्मा गांधी से लेकर जवाहरलाल नेहरू सभी ने आरएसएस के कामों की सराहना की है. समय-समय पर आरएसएस की सेवाओं  को लिया है. कांग्रेस को यही नहीं पता कि आजादी के पहले भाजपा की स्थापना नहीं हुई थी.