सेवा एवं शिक्षा में अन्य पिछड़ा वर्ग को आबादी के आधार पर समानुपातिक संवैधानिक प्रतिनिधित्व (आरक्षण) विधानसभा में पारित कर राज्य में लागू करें भूपेश सरकार- डॉ. जीतेन्द्र सिंगरौल।

सेवा एवं शिक्षा में अन्य पिछड़ा वर्ग को आबादी के आधार पर समानुपातिक संवैधानिक प्रतिनिधित्व (आरक्षण) विधानसभा में पारित कर राज्य में लागू करें भूपेश सरकार- डॉ. जीतेन्द्र सिंगरौल।

सेवा एवं शिक्षा में अन्य पिछड़ा वर्ग को आबादी के आधार पर समानुपातिक संवैधानिक प्रतिनिधित्व (आरक्षण) विधानसभा में पारित कर राज्य में लागू करने के लिए अखिल भारतीय कूर्मि महासभा के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ. जीतेन्द्र कुमार सिंगरौल ने मुख्यमंत्री एवं राज्यपाल को पत्र लिखकर मांग किया है। डॉ. सिंगरौल ने अपने मांग में सरकार का ध्यान आकृष्ट करते हुए कहा है कि भारत सरकार द्वारा अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को 27 प्रतिशत संवैधानिक प्रतिनिधित्व (आरक्षण) लागू है; किन्तु राज्य में केवल 14 प्रतिनिधित्व (आरक्षण) दिया जा रहा है, जबकि राज्य में ओबीसी की अन्य पिछड़ा वर्ग की जनसंख्या लगभग 52-56 प्रतिशत है। यह कि राज्य में ओबीसी की लगभग आबादी 56 प्रतिशत होने के बावजूद केवल 14 प्रतिशत प्रतिनिधित्व दिया जाना संवैधानिक प्रतीत नहीं होता है।

 उन्होंने आगे सरकार को आडे हाथ लेते हुए कहा है कि राज्य सरकार ने ओबीसी की आबादी की गणना के लिए क्वांटिफायबल डाटा कमीशन गठित किया है; जिसके अंतरिम आंकड़ों के अनुसार भी ओबीसी की आबादी लगभग 45 प्रतिशत होने का प्रमाण राज्य सरकार के पास वर्तमान में उपलब्ध हैं। यदि सरकार चाहे तो वे इस आधार पर ही इसे अधिसूचित कर सकते है। 

 उन्होंने अपने पत्र में तमिलनाडू, कर्नाटक व केरल जैसे राज्यों में अन्य पिछड़ा वर्ग को जनसंख्या के अनुपात में क्रमशः 50, 49 व 40 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था लागू होने का उल्लेख करते हुए राज्य सरकार को उन राज्यों की भंाति अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए जनसंख्या के अनुरूप 27 से 45 प्रतिशत आरक्षण के लिए दिनॉक 1 दिसम्बर 2022 से आयोजित विशेष विधानसभा में पारित कर लागू करने का आग्रह किया है। साथ ही सलाह दिए है कि यदि क्वांटिफायबल डाटा कमीशन की आंकड़ा आने में विलंब है तो भी भारत सरकार द्वारा प्रावधानित 27 प्रतिशत आरक्षण को तत्काल विधानसभा में पारित कर लागू कर सकते है।