सेल्फी के बुखार
नर्मदा दीवान "नैना" सिरपुर छत्तीसगढ़
वाह रे सेल्फी तोर नशा म, सरी दुनिया बउरावत हे।
जगह, समय देखय नहीं, भइगे सेल्फी म झपावत हे।
कोनो कोंघरे कस,कोनों उखरू बइठ के सेल्फी लेवथे।
फकफक ले मुहरंगी लगाय, मुंहु अइठ के सेल्फी लेवथे।
फिल्टर केमरा के आय ले, कारी टुरी छानी म भुंजे होरा।
क्रीम पउडर लागय नहीं बिलवा दिखय चकचक ले गोरा।
लबरा फिल्टर के सेतिन जम्मो मइनखे मन धोखा खाथे।
बिहाव बर आनलाइन नोनी खोजइया सिद्धो म ठगाथे।
मुंहु दिखय भले बेंदरी कस, फेर पोज आनी बानी मारत हे।
टुरा घलो मन कम नइहे संगी,पुष्पराज कट पोज मारत हे।
सेल्फी के चक्कर म कतको झन,जीव अपन गंवा डरिस।
चार दिन के सुघ्घर जिनगानी ल,एके दिन म झंवा डरिस।
अतेक अतलंग झन करव, कि जीव के काल बन जाय।
सेल्फी लेवव ठउर देखके,झन काकरो बर जंजाल बन जाय।