जानिए किस संवैधानिक प्रक्रिया के तहत निरस्त होगा कृषि कानून ?

किसी भी कानून को निरस्त करने की एक संवैधानिक प्रक्रिया होती है. कृषि कानूनों को खत्म करने के लिए भी लिए संसद में नरेंद्र मोदी की सरकार को संवैधानिक प्रक्रिया को पूरी करनी होगी.

जानिए किस संवैधानिक प्रक्रिया के तहत निरस्त होगा कृषि कानून ?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीन कृषि कानून को वापस लेने का ऐलान किया है. अपने संबोधन में उन्होंने वादा किया है कि इस महीने के अंत में शुरू होने जा रहे संसद सत्र में, सरकार इन तीनों कृषि क़ानूनों को रद्द करने की संवैधानिक प्रक्रिया को पूरा कर देगी.

कृषि कानून अभी तक देश में लागू नहीं हुआ है. सर्वोच्च न्यायालय ने इसे लागू करने पर रोक लगा रखी है. मगर इसके बाद भी इसे निरस्त करने के लिए संसद में बिल पेश करने की जरूरत होगी. तीनों कृषि बिल संसद में पारित होने और राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद कानून बन चुका है. इसलिए इस कानून को निरस्त करने या इसमें संशोधन करने के लिए संसद में बिल पेश करना होगा. अब संसद ही इस कानून को निरस्तीकरण विधेयक के जरिये खत्म कर सकती है.

संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप के अनुसार, इस मामले में कानून मंत्रालय संबंधित कृषि मंत्रालय को निरस्तीकरण का प्रस्ताव भेजेगा. संबंधित मंत्रालय के मंत्री संसद में बिल पेश करेंगे. संसद में बिल पेश होने के बाद उस पर बहस होगी और फिर वोटिंग की जाएगी. निरस्तीकरण विधेयक पास होने के बाद राष्ट्रपति इसे मंजूर करेंगे, तब यह कानून निरस्त माना जाएगा.

ये तीनों कृषि कानूनों होंगे रद्द

  • कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक 2020
  • कृषक (सशक्तिकरण-संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक 2020
  • आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक 2020
शीतकालीन सत्र में आएगा बिल : बता दें कि आंदोलनकारी किसान नेता पिछले डेढ़ साल से तीनों कृषि कानून को रद्द करने की मांग कर रहे हैं. 29 नवंबर से संसद का शीतकालीन सत्र शुरू होने जा रहा है. यह सत्र 25 दिनों तक चलेगा. किसान आंदोलनकारियों ने सत्र के दौरान संसद के सामने प्रदर्शन करने की चेतावनी दी थी. विपक्ष के नेताओं ने किसान आंदोलन पर बहस के लिए नोटिस दिया था. अब इसी शीतकालीन सत्र में सरकार कृषि कानून निरस्त करने का बिल पेश करेगी.