बंद हुए बाबा केदार व मां यमुनोत्री धाम के कपाट
हिमालय पर्वत की श्रृंखलाओं में बसे देवभूमि उत्तराखंड के उत्तरकाशी जनपद अंतर्गत, मां यमुनोत्री मंदिर और जनपद रुद्रप्रयाग में भगवान शिव के ग्यारहवें ज्योतिर्लिंग बाबा श्री केदारनाथ धाम के कपाट शीतकाल के लिए गुरुवार को बन्द हो गए।
हिन्दू पंचांग गणना के अनुरूप भैया दूज, कार्तिक शुक्ल सप्तमी, अनुराधा नक्षत्र के पावन अवसर पर, वैदिक मंत्रोच्चारण और सेना के वाद्य यंत्रों की भक्तिपूर्ण मधुर धुनों के बीच इन दोनों पवित्र धामों के कपाट बंदी की प्रक्रिया संपन्न हुई।
पर्यटन विभाग के आंकड़ों के अनुसार, इस अवसर पर यमुनोत्री धाम से सम्बद्ध पंडा पुरोहितों, के अलावा, कुल 132 भक्त कपाट बन्द होने की प्रक्रिया के साक्षी रहे। यहां इस यात्रा वर्ष में कुल 6 लाख, 44 हजार 637 श्रद्धालुओं ने माता यमुना जी के दर्शन किए हैं। जबकि भगवान श्री केदार नाथ मंदिर में आज कुल 11,415 पंजीकृत श्रद्धालु कपाट क्रिया के दौरान उपस्थित रहे। अभी तक सम्पूर्ण यात्रा काल में यहां कुल 17 लाख 68 हजार 795 पंजीकृत भक्त कपाट खुलने के बाद से दर्शन कर चुके हैं। अब इन दोनों के दर्शन उनके शीतकालीन प्रवास स्थल खरसाली और ओंकारेश्वर मंदिरों में हो सकेंगे। यहां भी उनके दर्शनों की मान्यता ग्रीष्मकालीन दर्शनों की भांति ही है।
यमुनोत्री धाम के कपाट आज विधि-विधान और वैदिक मंत्रोच्चारण के मध्य शीतकाल के लिए बन्द कर हो गये। कपाट बंदी प्रक्रिया अपराह्न 12 बजकर 30 मिनट पर सम्पूर्ण हुई। कपाट बंद होने की परंपरा के अनुसार, खरसाली गाँव से समेश्वर देवता (शनिदेव) की डोली मां यमुना को लेने धाम पहुंची। कपाट बंद होने के बाद शनिदेव की अगुवाई में मां यमुना की भोग मूर्ति और उत्सव डोली, ढोल नगाड़ों और शंखनाद के बीच शीतकालीन प्रवास खरसाली गद्दीस्थल मंदिर के लिए रवाना की गयी।