दुर्लभ मामला : सर्पदंश से महिला को हुआ पार्किंसन
लखनऊ बरसात के मौसम में सर्पदंश के मामले बढ़ जाते हैं, जिससे मस्तिष्क और आंखों से जुड़ी समस्याएं देखने को मिलती हैं। कभी-कभी सर्पदंश से मौत भी हो जाती है, लेकिन केजीएमयू में एक ऐसा दुर्लभ मामला सामने आया है जिसमें एक 55 वर्षीय महिला को पार्किंसन की समस्या हो गई। डॉक्टरों का कहना है कि यह एक अत्यंत दुर्लभ मामला है।
दुर्लभ मामला: एनल्स ऑफ अफ्रीकन मेडिसिन में प्रकाशित
केजीएमयू में इस दुर्लभ मामले को एनल्स ऑफ अफ्रीकन मेडिसिन ने प्रकाशित किया है। इस मामले की पहचान करने वाले डॉक्टरों में डॉ. राजेश वर्मा, डॉ. प्रभु, डॉ. विकास पाल, और डॉ. केपी अर्जुन शामिल थे। डॉ. राजेश वर्मा ने बताया कि इस महिला को घर में सोते समय सांप ने काटा था।
सर्पदंश के बाद की स्थिति
महिला उस समय सो रही थी और आंख खुलने पर उसने सांप को जाते हुए देखा। लगभग दो से तीन घंटे तक महिला अपना काम करती रही, इसके बाद उसकी आंखें झपकने लगीं और अन्य समस्याएं होने लगीं। उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां उसकी मानसिक स्थिति अस्थिर हो गई और सांस लेने में भी कठिनाई होने लगी।
इलाज और परिणाम
अस्पताल में भर्ती रहने के दौरान महिला को एंटी वेनम की 20 खुराकें दी गईं। तीन दिनों तक अस्पताल में इलाज के बाद महिला को छुट्टी दे दी गई। घर लौटने के तीसरे दिन ही उसके शरीर के निचले हिस्से में कंपकंपी शुरू हो गई और बाद में चाल में भी गड़बड़ी महसूस होने लगी। धीरे-धीरे ये लक्षण बढ़ने लगे और खाने में भी कठिनाई होने लगी। अस्पताल में पुनः भर्ती कराने पर उसमें ल्यूकोएन्सेफैलोपैथी (मस्तिष्क के तरल पदार्थों से जुड़ी समस्या) के साथ पार्किंसन की पुष्टि हुई।
पार्किंसन: एक सामान्य परिचय
पार्किंसन आमतौर पर वृद्धावस्था में होने वाली बीमारी होती है। इसमें न्यूरोट्रांसमिशन का काम करने वाला डोपामाइन हार्मोन पर्याप्त मात्रा में नहीं बन पाता, जिससे मांसपेशियों और शारीरिक संचालन को सामान्य रखने में कठिनाई होती है। समय के साथ, यह अधिक गंभीर लक्षण उत्पन्न करता है, जिससे मांसपेशियों का नियंत्रण, संतुलन, और गति प्रभावित होती है। इसके अलावा, यह मरीज़ की इंद्रियों, सोचने की क्षमता, मानसिक स्वास्थ्य और अन्य चीजों को भी प्रभावित कर सकता है।
सर्पदंश के बाद के लक्षण
सर्पदंश के बाद होने वाली समस्याओं में प्रमुख रूप से पीटोसिस यानी पलकें झुकने की समस्या देखने को मिलती है। केजीएमयू की एक अध्ययन रिपोर्ट के अनुसार, यहाँ इलाज के लिए आए 85.7 प्रतिशत मामलों में पीटोसिस की समस्या देखी गई। वहीं, 75 प्रतिशत मामलों में ऑप्थैल्मोप्लेजिया यानी आंखों की मांसपेशियों का लकवा पाया गया।
इसके अतिरिक्त, 26.8 प्रतिशत मामलों में अंगों की कमजोरी, 17.9 प्रतिशत मामलों में श्वसन तंत्र की विफलता, 10.7 प्रतिशत मामलों में तालु की कमजोरी, और 7.1 प्रतिशत मामलों में गर्दन की मांसपेशियों की कमजोरी की शिकायतें पाई गईं।
सर्पदंश पर क्या करें?
केजीएमयू की फॉरेंसिक एंड टॉक्सिकोलॉजी विभाग की डॉ. शिऊली राठौर के अनुसार, सांप ने जहां डसा हो वहां पर टाइट कपड़े न बांधें, घाव पर चीरा न लगाएं और न ही चूसकर जहर निकालने की कोशिश करें। पीड़ित व्यक्ति को सामान्य रखें और जल्द से जल्द अस्पताल पहुंचाएं। इस दौरान ध्यान दें कि सांप ने जहां डसा है वह हिस्सा झुका रहे यानी दिल के समानांतर न हो।