उभ्यपक्षों की मांग पर AIIMS के डायरेक्टर को किया जाएगा तलब
AIIMS की शिकायतों के निराकरण के लिए आयोग में पूरे दिन होगी सुनवाई न्यायालय द्वारा पारित भरण-पोषण का आदेश नहीं मानना न्यायालय की अवमानना
राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक एवं सदस्य डॉ अनिता रावटे की उपस्थिति में आज शास्त्री चैक स्थित, राज्य महिला आयोग कार्यालय में महिलाओं से संबंधित शिकायतों के निराकरण के लिए सुनवाई की गई।
आज रायपुर स्थित एम्स अस्पताल के प्रकरण में आवेदिका ने उल्लेखित किया की एम्स के विरुद्ध कई शिकायतें है। क्या कारण है कि एम्स के डॉक्टर एक दूसरे के खिलाफ, एक छात्रा की आत्महत्या के खिलाफ प्रकरण महिला आयोग में लंबित है। इन सभी शिकायतों के निराकरण के लिए महिला आयोग के अध्यक्ष डाॅ किरणमयी नायक ने एम्स के डायरेक्टर को बुलाकर एम्स के सभी प्रकरणों की सुनवाई एक साथ रखने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि एम्स के समस्त प्रकरणों को एक साथ जांच कराकर एक दिन सिर्फ एम्स के ही प्रकरणों में जनसुनवाई किया जाएगा। इसके लिए सभी प्रकरणों की सूची बनाकर एम्स के डायरेक्टर को भेजकर विस्तृत जानकारी के आधार पर रिपोर्ट लेकर आयोग में आने के लिए सूचना आयोग से भेजा जाएगा जिससे एम्स के समस्त प्रकरण निराकृत किया जा सके।
एक अन्य प्रकरण में अनावेदक पति और बुआ ने आयोग में लिखित आपत्ति प्रस्तुत किया है जिसमे वैवाहिक जीवन महज 7 दिन ही रहा है। आवेदिका पत्नी को एसडीओपी के माध्यम से आवेदिका के पिता को सुपुर्द किया गया। आवेदिका की शिकायत पति और बुआ के खिलाफ आपराधिक मामलों के लिए पर्याप्त है। आवेदिका को समझाइश दिया गया कि वह सहमति के आधार पर प्रकरण के समापन के लिए अपना प्रस्ताव अनावेदक पक्ष के सामने रख सकते है। अध्यक्ष डाॅ नायक ने कहा कि अनावेदक पति एक जिम्मेदार विधिक व्यक्ति होने के साथ न्यायाधीश के पद पर कार्यरत है और दोनो पक्षों के लिये श्रेष्ठ होगा कि आपसी सहमति से इस प्रकरण का सम्पूर्ण पटाक्षेप करें। इस प्रकरण को आगामी सुनवाई के लिए रखा गया है। इसी तरह एक अन्य प्रकरण में आवेदिका ने बताया कि न्यायालय के द्वारा भरण-पोषण के लिए पारित आदेश का पालन नही कर रहा है और बिना तलाक के दूसरी शादी कर चुका है। अनावेदक की दूसरी पत्नी प्रेग्नेंट थी जिसका दस्तावेज श्वेता हॉस्पिटल में है। आवेदिका ने हॉस्पिटल में दस्तावेज के लिये आवेदन लगाया था परंतु नही मिला। अनावेदक कोरबा सीएसईबी में क्लर्क के पद पर कार्यरत है जिसका मासिक वेतन 30 हजार है। अनावेदक द्वारा अब तक न्यायालय के आदेश का पालन नही किया गया है। भरण-पोषण से बचने के लिए हाई कोर्ट में केस लगाया है। ऐसी दशा में प्रकरण के निराकरण के लिए श्वेता अस्पताल में एक पत्र दस्तावेज देने के लिए भेजा गया।
एक अन्य प्रकरण में लगभग 6 माह से अपने अनावेदिका अपने पति से अलग रह रही है। उभय पक्ष को समझाइश दिया गया दोनो के बीच साथ रहने की संभावना नही दिख रही है। आवेदिका सास ने अनावेदिका को साथ ले जाने हेतु आयोग में आवेदन दिया है जिसपर दोनो पक्षो के बीच किसी भी तरह से तालमेल की संभावना नही दिखती है। अनावेदिका किसी भी स्थिति में आवेदिका और उसके पुत्र के साथ रहने के लिए तैयार नहीं है। अध्यक्ष डाॅ नायक ने ऐसी दशा में समझाइश दिया कि पति-पत्नी आपसी राजीनामा से तलाक ले सकते हैं। अनावेदिका ने आयोग के समक्ष आवेदिका और उसके पुत्र से अपने समान और भरण पोषण देने की मांग की जिसपर आवेदिका और उसके पुत्र ने समान और भरण पोषण देने को तैयार हुए। इस प्रकरण को निगरानी में रखते हुए आगामी सुनवाई में रखा गया। इसी तरह एक अन्य प्रकरण में विगत जून माह से अलग रह रहे पति-पत्नी को आपसी राजीनामा से तलाक हेतु सक्षम न्यायालय में आवेदन करने कहा गया। जब तक पति पत्नी के मध्य तलाक नही हो जाता तब तक इस प्रकरण को निगरानी में रखते हुए नस्तीबद्ध किया गया। एक अन्य प्रकरण में दोनो पक्षो को समझाइश के बाद भी अनावेदक अपनी गलती मानने को तैयार नही है और कार्यवाही न्यायालय से कराना चाहता है। इस आधार पर प्रकरण नस्तीबद्ध किया गया। एक अन्य प्रकरण में दोनों पक्ष 4 साल से अलग रह रहे है दोनों के मध्य आपसी सहमति से तलाक के लिए स्वीकारोक्ति हुई इस आधार पर प्रकरण नस्तीबद्ध किया गया।
आज जनसुनवाई में 30 प्रकरण में 22 पक्षकार उपस्थित हुए, प्रकरण नस्तीबद्ध किया गया शेष अन्य प्रकरण को आगामी सुनवाई में रखा गया।