भाई ने जिंदा बहन का किया अंतिम संस्कार, मृत्युभोज तक कराया, जानें क्या है मामला...

भाई ने जिंदा बहन का किया अंतिम संस्कार, मृत्युभोज तक कराया, जानें क्या है मामला...

 मध्यप्रदेश के नीमच जिले से प्रेम विवाह को लेकर सामाजिक बहिष्कार की एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है। यहां एक युवती द्वारा अपनी मर्जी से प्रेम विवाह करने के बाद उसके परिजनों ने उसे मृत मान लिया और जिंदा होते हुए भी उसका अंतिम संस्कार कर दिया। इतना ही नहीं, रिश्तेदारों को बुलाकर मृत्युभोज (बारहवीं) भी आयोजित किया गया।

क्या है मामला?
घटना बघाना इलाके की है। युवती कल्पना यादव ने परिवार की मर्जी के खिलाफ जाकर लव मैरिज कर ली थी। जब 13 मई को पुलिस उसे प्रेमी के साथ ढूंढकर घर लाई, तो उसने प्रेमी के साथ ही रहने की इच्छा जताई। इससे नाराज होकर उसके भाई विक्रम और परिवारजनों ने उसे हमेशा के लिए त्यागने का फैसला किया।

शोक संदेश और अंतिम संस्कार
भाई ने बहन के नाम का बाकायदा शोक संदेश छपवाया और लिखा: "अत्यंत दुःख के साथ सूचित किया जा रहा है कि स्व. अमरसिंह तौर की सुपुत्री, विक्रम, चेतन एवं अंकित की छोटी बहन कल्पना यादव का असामयिक निधन दिनांक 25/04/2025 को हो गया, जिसकी बारहवीं की रस्म 14/05/2025 को पठारी यादव मोहल्ला स्थित निवास पर सम्पन्न होगी।"

इसके बाद घर में कल्पना की तस्वीर पर माला चढ़ाकर पूजा-पाठ किया गया और रिश्तेदारों को बुलाकर विधिवत गोरनी का कार्यक्रम और मृत्युभोज भी कराया गया।

"अब वह हमारे लिए मर चुकी है" — भाई का बयान
कल्पना के भाई विक्रम ने मीडिया को बताया कि, "हमारी बहन अब हमारे लिए मर चुकी है। उसने परिवार की इज्जत मिट्टी में मिला दी। हमने उसका अंतिम संस्कार कर दिया और समाज को भी सूचित कर दिया कि अब उससे हमारा कोई नाता नहीं है।"

शहर में हैरानी, मामला बना चर्चा का विषय
इस घटना ने पूरे शहर को हैरानी में डाल दिया है। जहां एक ओर समाज में प्रेम विवाह को लेकर जागरूकता बढ़ रही है, वहीं दूसरी ओर इस तरह की मानसिक और सामाजिक बहिष्कार की घटनाएं अब भी सामने आ रही हैं।

नीमच की यह घटना प्रेम और स्वतंत्रता के अधिकार पर एक गंभीर सामाजिक प्रश्न खड़ा करती है। एक जिंदा लड़की को सिर्फ विवाह के आधार पर मृत घोषित कर देना, यह दर्शाता है कि आधुनिक भारत में अभी भी सामाजिक स्वीकृति के नाम पर कई परिवार भावनात्मक हिंसा के रास्ते पर चल रहे हैं। यह मामला केवल कानून का नहीं, बल्कि सोच बदलने की जरूरत का भी है।