शहीद महेंद्र कर्मा विश्वविद्यालय में चयनित पदों की सूची निकले बिना ही चहीते सहायक प्राध्यापकों की गुपचुप नियुक्ति

शहीद महेंद्र कर्मा विश्वविद्यालय जगदलपुर के शैक्षणिक पदों की भर्ती का लिफाफा खुलने के तीन दिन बाद भी साक्षात्कार परिणाम घोषित नहीं किया गया।
चयनित लोगों को लिफाफा खुलते ही गुपचुप तरिके से नियुक्ति आदेश देकर पदभार ग्रहण करा दिया गया।
साक्षात्कार दिए अभ्यर्थी परिणाम जानने भटक रहे।
आज दिनांक तक वेबसाइट में में किसी प्रकार की सूचना नहीं (वेबसाइट का अभी का स्क्रीन शॉर्ट संलग्न )
अभ्यर्थीयो ने परिणाम जानने और आपत्ति निराकरण तक पदभार ग्रहण नहीं कराए जाने का दिया था आवेदन फिर भी बिना परिणाम सूचना डाले कराया गया पदभार ग्रहण।
जगदलपुर- दिनांक 24 मई 2025 को शहीद महेंद्र कर्मा विश्वविद्यालय के कार्य परिषद में दस विषयों के चल रहे शैक्षणिक पदों के साक्षात्कार में से पांच विषयों के संपन्न साक्षात्कार का लिफाफा खुला था, जिसके उपरांत 24 मई को ही चहेते चयनितों रशमी देवांगन, दुर्गेश डिकसेना और तुलिका शर्मा को नियुक्ति पत्र देकर गुपचुप तरिके से पदभार ग्रहण करा दिया गया। उललेखनीय है कि इन चयनितों का चयन से पहले ही चयन होने का दावा वायरल हो रहा था।
प्रभावित अभ्यर्थी कोर्ट ना जा पाए इसलिए विश्वविद्यालय अवैधानिक साक्षात्कार परिणाम जारी नहीं कर रहा।
उललेखनीय है कि विश्वविद्यालय द्वारा दस विषयों के 59 शैक्षणिक पदों के लिए एक ही विज्ञापन संख्या से विज्ञापन जारी हुआ था, एक ही आरक्षण रोस्टर लगा था, परंतु विश्वविद्यालय प्रशासन चहेतो के चयन परिणाम पूर्व ही नाम वायरल होने से घबराकर आनन फानन में चलते साक्षात्कार के मध्य में दस विषयों में से मात्र पांच विषयों के लिफाफे कार्य परिषद में सदस्यों को बिना पूरी जानकारी दिए खुलवा लिया गया और प्रभावित लोग कोर्ट ना जा पाए की रणनीति बनाकर साक्षात्कार परिणाम की विधिवत सूचना वेबसाइट में नहीं डालकर एकतरफा चहेतो को लिफाफा खुलते ही पदभार ग्रहण करा दिया गया है। किसी भी परीक्षा परिणाम का रिजल्ट जानना परीक्षा में शामिल सभी परीक्षार्थी का अधिकार होता है परंतु विश्वविद्यालय प्रशासन इतने मनमानी पर उतर आया है कि सिर्फ दस चयनित को साक्षात्कार परिणाम बताकर अन्य उम्मीदवारों को साक्षात्कार परिणाम ना तो वेबसाइट में बता रहे हैं और ना ही दूरभाष पर जो कि साक्षात्कार में शामिल आवेदकों के साथ अतयाचार और अन्याय है तथा इस भर्ती में भारी भरष्टाचार का प्रमाण है।
अन्य आवेदकों को समाचार पत्र से आधी अधूरी जानकारी लगी।
उक्त भर्ती के लिफाफा खुलने की जानकारी साक्षात्कार दिए अन्य आवेदकों को दिनांक 25/5/2025 को पत्रिका समाचार में आधी अधूरी जानकारी लगी, अन्य आवेदक आज तक वेबसाइट में परिणाम देख रहे हैं परंतु लिफाफा खुलने के तीन दिन बाद भी विधिवत् साक्षात्कार परिणाम वेबसाइट या अन्य माध्यम में कोई सूचना नहीं डाली गयी है, दूरभाष पर भी विश्वविद्यालय प्रशासन किसी प्रकार की कोई सूचना नहीं दे रहे हैं, जबकि साक्षात्कार दिए आवेदकों को परिणाम जानने का अधिकार है।
दिनांक 25/5/2025 को पत्रिका समाचार में छपी खबर के आधार पर अन्य आवेदकों द्वारा विश्वविद्यालय प्रशासन को विभिन्न बिंदुओ पर आपत्ति करते हुए बिना परिणाम वेबसाइट पर डाले, और आपत्ति के निराकरण तक अवैधानिक रूप से चयनितों को नियुक्ति आदेश नहीं देने और पदभार ग्रहण नहीं कराने का आवेदन दिया था।
ग्रामीण प्रौद्योगिकी के सभी आवेदकों ने निम्न बिंदुओं पर किया आपत्ति एवं शिकायत। (विश्वविद्यालय को दिए शिकायत की पावती संलग्न)
दिनांक 08 मई 2025 को ग्रामीण प्रौद्योगिकी विषय के सहायक प्राध्यापक पद (1 अनारक्षित) हेतु साक्षात्कार संपन्न हुआ था, दिनांक 25 मई को समाचार पत्र से जानकारी प्राप्त हुआ कि ग्रामीण प्रौद्योगिकी विषय में दुर्गेश डिकसेना को सहायक प्राध्यापक पद हेतु नियुक्ति आदेश जारी हो गया है, किंतु आज दिनांक 27 मई 2025 को इस पत्र के पावती तक विश्वविद्यालय द्वारा वेबसाइट या किसी भी माध्यम से साक्षात्कार के परिणाम दर्शित या सूचित नहीं किया गया है।
उक्त दिनांक 8 मई 2025 को आयोजित साक्षात्कार के संबंध में अवैधानिक नियुक्ति की जानकारी भी प्राप्त हुआ है जिस संबंध में आवेदकों द्वारा निम्नलिखित आपत्ति पुनः प्रेषित किया गया।
आपत्ति
यह कि दिनांक 8 मई 2025 को आयोजित ग्रामीण प्रौद्योगिकी विषय के सहायक प्राध्यापक पद के साक्षात्कार में यूजीसी नियमानुसार 3 विषय विशेषज्ञ होना चाहिए था, परंतु मात्र 2 विशेषज्ञ थे जो कि बायो टेकनोलोजी और कला संकाय से थे। अर्थात यूजीसी नियमानुसार एक भी विशेषज्ञ ग्रामीण प्रौद्योगिकी विषय से नहीं थे।
यह कि ग्रामीण प्रौद्योगिकी विषय के उक्त दिनांक के साक्षात्कार में संकाय अधयक्ष, विभागाध्यक्ष का भी कोरम नहीं था।
यह कि साक्षात्कार में महिला आवेदक थे परंतु चार सदस्यीय चयन कमेटी मे एक भी महिला सदस्य नहीं थी। नियमानुसार एक महिला सदस्य भी होना चाहिए था।
कुल 4 सदस्यों द्वारा साक्षात्कार लिया गया जो कि यूजीसी नियमानुसार कोरम पूरा नहीं हुआ था, इसलिए भी यह साक्षात्कार अवैधानिक प्रतित होता है।
उक्त साक्षात्कार में चौथे सदस्य के रूप में विश्वविद्यालय के ही फारेस्टरी विभाग के एक सह प्राध्यापक अनूसूचित सदस्य के रूप में उपस्थित थे जिनका कार्य केवल अवलोकन करना था परंतु इनके द्वारा साक्षात्कार में आवेदकों से सबसे अधिक विषय से बाहर का कुछ भी सवाल पूछा जा रहा था, जिससे नियुक्त संबंधित को विशेष लाभ दिलाया जाना प्रमाणित प्रतित होता है।
दुर्गेश डिकसेना द्वारा साक्षात्कार पूर्व कुछ प्रशनो को दूरभाष पर पूछकर चर्चा किया जा रहा था और वही सवाल अन्य आवेदकों से पूछा जाना भी साक्षात्कार पूर्व दुर्गेश डिकसेना को अवैधानिक रूप से लाभ दिलाना प्रतित होता है।
साक्षात्कार परिणाम को निति नियमानुसार जारी करने के पूर्व ही दुर्गेश डिकसेना को नियुक्ति पत्र प्रदान किया जाना अवैधानिक नियुक्ति की पुष्टि करता है।
कुछ आवेदकों से साक्षात्कार पूर्व पैसों के लेनदेन के लिए संपर्क किया जाना भी अवैधानिक नियुक्ति का प्रमाण प्रतित होता है।
दुर्गेश डिकसेना का ग्रामीण प्रौद्योगिकी विषय में सहायक प्राध्यापक पद पर नियुक्ति की बात परिणाम पूर्व ही काफी पहले से वायरल हुआ था, जिस कारण भी यह नियुक्ति अवैधानिक होता है।
दुर्गेश डिकसेना अन्य आवेदकों से मेरिट में काफी पिछे थे, मात्र साक्षात्कार अंकों में इनहे बढ़त दिलाकर नियुक्ति किया जाना अवैधानिक है, दुर्गेश डिकसेना के पास एक भी अनुभव के अंक नहीं थे, कोई पुरस्कार के अंक नहीं थे। इनके अतिरिक्त जो भी उम्मीदवार थे अपेक्षाकृत अधिक अनुभवधारी, पुरस्कार, गोल्ड मेडल, पेटेंट, यूजी पीजी के टापर थे।
दुर्गेश डिकसेना से एक नहीं बल्कि अनेक उम्मीदवार मेरिट में आगे थे किंतु दुर्गेश डिकसेना को साक्षात्कार में अधिक अंकों का अवैधानिक रूप से बढत देकर नियुक्ति किया जाना संदेह की पुष्टि करता है।
यह कि उक्त ग्रामीण प्रौद्योगिकी विषय में 2 पद सहायक प्राध्यापक के अनूसूचित जनजाति के लिए भी साक्षात्कार हुआ था, जिसमें 03 पात्र एमफिल पीएचडी उपाधि धारक आवेदक शामिल हुए थे, अनूसूचित जनजाति आवेदकों को नाट फाउंड सुटेबल कर दिया गया, इससे भी प्रतित होता है कि, अनूसूचित जनजाति उम्मीदवारों से पैसों के सेटिंग नहीं होने के कारण नाट फाउंड सुटेबल कर दिया गया। जबकि बस्तर जैसे आदिवासी अंचल में पात्र आदिवासी अभ्यर्थीयो को चयन किया जाना था, परंतु आदिवासी आवेदकों को साक्षात्कार लेकर पैसा नहीं मिलने के कारण नाट फाउंड सुटेबल कर उक्त पदो को पात्र आदिवासी आवेदक होने के बाऊजूद रिकत कर दिया गया।