कुण्डलियां छंद स्वामी विवेकानंद

कुण्डलियां छंद   स्वामी विवेकानंद

भारत के गौरव बढ़े,अइसन करदिस काज।
विश्व धर्म बानी ध्वजा,फहिरे बन के साज।
फहिरे बनके साज प्रभावी हे सम्बोधन।
शब्द बनिस पहिचान, बहिन भाई बड़ पावन। 
लिखय मधुर इतिहास,सब शिकागो मा धारत।
होनहार बिरवान,संत स्वामी ले  भारत ।।

(2)

नारी शिक्षा मा बढय,तभे तरक्की जान।
स्वाभिमान हे देश के,संत युवा के मान।
संत युवा के मान,गढ़व विकास के गाथा।
सबके हित ला सोच,नवाही सब झिन माथा।
कल कर खाना खोल,संदेश टार अशिक्षा।
ज्ञान मधुर भंडार,पथ बने नारी शिक्षा।।


 डाॅ मीता अग्रवाल मधुर रायपुर छत्तीसगढ़