छत्तीसगढ़ी भाषा के ऑनलाइन गुरुकुल "छन्द के छ" का दीवाली मिलन,पुस्तक विमोचन तथा राज्यस्तरीय छन्दमय छत्तीसगढ़ी कविसम्मेलन सम्पन्न

छत्तीसगढ़ी भाषा के ऑनलाइन गुरुकुल "छन्द के छ" का दीवाली मिलन,पुस्तक विमोचन तथा राज्यस्तरीय छन्दमय छत्तीसगढ़ी कविसम्मेलन सम्पन्न

"छन्द के छ" छत्तीसगढ़ का अविस्मरणीय दीवाली मिलन समारोह बैस भवन,रायपुर में दिनांक 27 नवम्बर को सम्पन्न हुआ। इस अवसर पर 4 छंदकारों की कृतियों का गरिमामयी विमोचन तथा छन्दमय छत्तीसगढ़ी कवि सम्मेलन हुआ ।  समारोह के मुख्य अतिथि डॉ. चितरंजन कर (वरिष्ठ साहित्यकार, भाषाविद) ,अध्यक्ष कमल वर्मा (प्रदेश अध्यक्ष छ.ग. राजपत्रित अधिकारी संघ) खास पहुना- डॉ. सुधीर शर्मा (भाषाविद), विजय मिश्रा "अमित" (प्रसिद्ध रंगकर्मी) और इंजी.पूरन सिंह बैस जी (अध्यक्ष बैस कुर्मी क्षत्रिय समाज)थे। 

            छत्तीसगढ़ी भाखा महतारी की पूजा अर्चना के उपरांत प्रथम सत्र में अतिथियों द्वारा  बोधनराम निषादराज की कृति "छन्द कटोरा", शुचि भवि की कृति "छन्द फुलवारी, द्वारिकाप्रसाद लहरे की कृति- "छन्द गीत बहार" और जगदीश "हीरा" साहू की कृति - "मोर सुग्घर गँवई गाँव का गरिमामयी विमोचन किया गया। विमोचित पुस्तकों पर छन्दकार जीतेन्द्र वर्मा "खैरझिटिया", ज्ञानुदास मानिकपुरी, अश्वनी कोसरे और मनीराम साहू "मितान" ने सारगर्भित चर्चा की।  

            कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ चितरंजन कर ने कहा कि "किसी भी भाषा में अन्य भाषाओं की बोली का समावेश वर्जित नहीं है, बशर्ते वह व्याकरण सम्मत हो, तभी भाषा प्रचलन में रह पाएगी और प्रवाह बना रहेगा।"

कार्यक्रम के अध्यक्ष श्री कमल वर्मा ने उत्कृष्ट सृजन से महतारी भाखा को समृद्ध करने के लिए छंदकारों को बधाई देते हुए जनकवि, गायक और गीतकार लक्ष्मण मस्तुरिया के संस्मरणों को साझा करते हुए उनके गीत मोर संग चलव की कुछ पंक्तियों को गाकर सुनाया। 
 
           खास पहुना डॉ. सुधीर शर्मा ने कहा कि- छत्तीसगढ़ी भाषा को समृद्ध करने के लिए छंद के छ के योगदान को हमेशा याद किया जायेगा। खास पहुना विजय मिश्र अमित ने छंदकारों के अनुशासन की भूरि भूरि प्रशंसा करते हुए कहा कि जैसे मकड़ी अपने नैसर्गिक गुणों के कारण बिना किसी पैमाने का उपयोग करते हुए एक नपा-तुला, ज्यामितीय मकड़जाल बुनती है उसी तरह की नैसर्गिक प्रतिभा छन्दकारों में दिखाई दे रही है जो साहित्य की सबसे कठिन विधा "छन्द-विधा" में लय, भाव और विधान को छत्तीसगढ़ी भाषा में साध रहे हैं। खास पहुना इंजी.पूरन सिंह बैस ने छंदकारों के उज्ज्वल भविष्य की कामना कहा कि छत्तीसगढ़ी साहित्य, संस्कृति और संगीत के संवर्द्धन एवं समृद्धि के लिए हम सदैव हरसंभव सहयोग करते आये हैं और करते ही रहेंगे।  । इस अवसर पर वरिष्ठ साहित्यकार रामेश्वर शर्मा एवं रामनाथ साहू ने छंदकारों का खासा उत्साहवर्धन किया। छंदकार गजराज दास महंत ने अपने छन्द-गुरु को चौपाई छंद में रचित छत्तीसगढ़ी की प्रथम गणेश वंदना का स्मृति चिन्ह व वीडियो भेंट किया।    
          
छंदकार बलराम चंद्राकर और विजेंद्र वर्मा के कुशल संयोजन में आयोजित इस गरिमामयी आयोजन में छत्तीसगढ़ के 22 जिलों से आए हुए 110 छंदकारों ने छत्तीसगढ़ी में विभिन्न छंदों में शानदार पाठ किया। कार्यक्रम का सफल संचालन अजय अमृतांशु और कवि गोष्ठी का संचालन-जितेंद्र वर्मा खैरझिटिया, ईश्वर साहू ,आरुग, मोहन निषाद, अश्वनी कोसरे और गजराज दास महंत ने किया।
        कार्यक्रम को सफल बनाने में छंदकार सूर्यकांत गुप्ता,डॉ मीता अग्रवाल 'मधुर',चोवाराम वर्मा "बादल", आशा देशमुख, सुखदेव सिंह अहिलेश्वर, ज्ञानुदास मानिकपुरी आदि ने महती भूमिका निभाई।