अधिवक्ता ने तोड़ी सगाई. आयोग के समझाईश पर 50 हजार देने हुआ तैयार आयोग ने दिलाया आवेदिका को उसका मकान

डी.एन.ए. टेस्ट से लेकर निराकरण की प्रक्रिया तक आवेदिका को पति देगा 5000रु. भरण-पोषण आयोग ने किन्नर का मामला नस्तिबद्ध किया

अधिवक्ता ने तोड़ी सगाई. आयोग के समझाईश पर 50 हजार देने हुआ तैयार   आयोग ने दिलाया आवेदिका को उसका मकान

रायपुर 12 जुलाई 2023 छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक एवं सदस्य श्रीमती नीता विश्वकर्मा ने आज छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग कार्यालय रायपुर में महिला उत्पीड़न से संबंधित प्रकरणों पर जनसुनवाई की। छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक की अध्यक्षता में आज प्रदेश स्तर की 183 वीं सुनवाई हुई. रायपुर जिले में आयोजित जन सुनवाई में कुल 31 प्रकरणों पर सुनवाई की गई।

आज की सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों को सुना गया पिछली सुनवाई में विस्तृत रूप से बयान दर्ज किया जा चुका है। आवेदिका और उसके बच्चे के भरण-पोषण के लिये अनावेदक ने 5000 रूपये आयोग के समक्ष आवेदिका को दिया तथा अनावेदक ने आवेदिका और उसके बच्चे एवं स्वयं का डी.एन.ए. टेस्ट का खर्च स्वयं वहन करना स्वीकार किया जिसकी प्रक्रिया प्रारंभ किया जायेगा और डी.एन.ए. टेस्ट की रिपोर्ट आने तक अनावेदक आवेदिका को प्रति माह बैंक खाते में 5000 रूपया देगा जिसके लिये आवेदिका अनावेदक को अपने बैंक खाते की छायाप्रति उपलब्ध करायेगी प्रति माह पहले सप्ताह में आवेदिका के खाते में 5000 रूपया जमा करेगा इस प्रकरण की निगरानी हेतु अधिवक्ता नियुक्त किये जाते है।

अन्य प्रकरण में आवेदिका ने बताया कि अनावेदक पिछले तीन वर्षा से अलग रह रहा था मंदिर हसौद में जो मकान है उसे आवेदिका ने स्वयं अपने पैसे से बनवाया है उस मकान में अनावेदक जबरन रहने लगा और शराब पीकर मारने पीटने की धमकी देता था इस वजह से आवेदिका अपनेबच्चों के साथ किराये के मकान में रह रही है। अनावेदक प्रति माह 8000 रूपया कमाता है और अपने पत्नी और बच्चों को भरण-पोषण भी नही देता है आनावेदक अपनी गलती को सुधारने के लिये दिनांक 18.06.2023 तक का समय मांगते हुये कहा कि वह अपने पत्नी को मकान खाली करके देगा। आवश्यकतानुसार आवेदिका काउंसलर को अपने खर्च पर ले जा सकती है रिपोर्ट आने के बाद आयोग प्रकरण को समाप्त करेगा

अन्य प्रकरण में आवेदिका ने बताया कि उसकी शिकायत पर थाना आजाद चौक में आई.पी.सी. धारा 507 के तहत एफ.आई.आर. दर्ज हो चुका है जिसकी छायाप्रति आयोग के समक्ष आवेदिका ने प्रस्तुत किया एफ.आई.आर. दर्ज होने के कारण प्रकरण आयोग में सुना जाना संभव नहीं है अतः आयोग ने प्रकरण को नस्तिबद्ध किया ।अन्य प्रकरण में आवेदिका जो कि ट्रांसजेन्डर है उसका कथन है कि उसने अनावेदक के साथ मंदिर में विवाह किया है आयोग द्वारा विवाह के संबंध में दस्तावेज मांगने पर आवेदिका द्वारा कोई भी प्रमाण पेश नही किया गया। अनावेदक ने बताया कि वह शादी शुदा है और उसके दो बच्चे है आवेदिका को उसने उज्जैन में मंदिर दर्शन कराया था जिसका पैसा आवेदिका ने नही दिया। आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक ने कहा कि उभय पक्ष को सुनने के पश्चात इस प्रकरण में महिला आयोग के द्वारा निराकरण करना प्रतीत नही होता है अतः प्रकरण को नस्तिबद्ध किया जाता है। आवेदिका चाहे तो अनावेदक के खिलाफ न्यायालय में प्रकरण प्रस्तुत कर सकती है।

अन्य प्रकरण में पिछली सुनवाई के दौरान लगातार अनावेदकगण के द्वारा यह प्रयास किया गया था कि वह आवेदिका को एकमुश्त भरण-पोषण राशि देकर प्रकरण का खात्मा करा लेंगे लेकिन अनावेदक आज इस बात से इंकार कर रहा है। आवेदिका आज भी अनावेदक के साथ रहने को तैयार है लेकिन अनावेदकगण इस बात के लिये भी तैयार नही है। अनावेदकगण के द्वारा आवेदिका का स्त्रीधन भी देने से इंकार कर दिया गया और उसे साथ रखने से भी इंकार कर दिया गया ऐसी स्थिति में आयोग के द्वारा पिछली सुनवाईयों में किसी भी कार्यवाही से दोनो पक्ष पुरी तरह स्वतंत्र है आवेदिका अनावेदक पक्ष के विरूद्ध आवश्यक अपराधिक एवं दिवानी मामला चला सकती है इस अनुशंसा के साथ आयोग प्रकरण को नस्तिबद्ध करता है।

अन्य प्रकरण में दोनों पक्षों को विस्तार से सुना गया अनावेदकगण ने बताया कि बिलासपुर परिवार न्यायालय में आवेदिका की बेटी और अनावेदक के विवाह को शून्य घोषित किया जा चुका है जिसकी अपील हाईकोर्ट में लंबित है। दोनो पक्षों ने बहुत सारे दस्तावेज प्रस्तुत किया जिसके अनुसार आवेदिका की बेटी ने पहले भी अन्य पुरुष के साथ आर्य समाज के मंदिर में विवाह किया था और खुद को अविवाहित बताकर अनावेदक के साथ विवाह किया था जिसके आधार पर अनावेदक ने विवाह को शुन्य घोषित करा लिया जिसकी अपील आवेदिका की पुत्री ने उच्च न्यायालय बिलासपुर में कर रखा है अतः सुनवाई किया जाना संभव नही होने के कारण आयोग ने प्रकरण नस्तिबद्ध किया इसी से जुड़े एक और प्रकरण को भी एक समान प्रकरण होने के वजह से नस्तिबद्ध किया गया।

अन्य प्रकरण में दोनों पक्षों के बीच सुलहनामा इस शर्त पर मंजूर हुआ है कि अनावेदक पक्ष आवेदिका पक्ष को शादी का सामान और गहने के साथ तीन लाख रूपये वापस करेंगे तथा चार लाख रूपये एकमुश्त भरण-पोषण की राशि देंगे इस प्रकरण में काउंसलर और अधिवक्ता इस सामान के लिये अनावेदक के गांव तोंगपाल जाने की तिथि आपसी रजामंदी से सुनिश्चित करेंगे सामान अदायगी के पूर्व अनावेदक पक्ष तीन लाख रूपये आवेदिका के बैंक खाते में जमा करेंगे इसके पश्चात् दोनों पक्षों की राजीनामा का स्टाम्प तैयार किया जायेगा जिसके आधार पर आपसी राजीनामा से तलाक की प्रक्रिया धमतरी न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया जायेगा मामले प्रस्तुत होने और स्टाम्प लिखा पढ़ी होने परप्रथम किश्त एवं अर्जी लगाने पर दूसरी किश्त देगा आवश्यमानुसार आगामी तिथि चयन किया। जायेगा।

अन्य प्रकरण में दोनो पक्ष उप आवेदिका और अनावेदक का रिश्ता तय हुआ था जिसमें दिनांक 22 फरवरी 2023 को सगाई हुई थी तथा 11 मई 2023 को विवाह की तिथि तय हुई थी परंतु महज पांच दिन के बाद अनावेदक की ओर से विवाह का रिश्ता रद्द कर दिया गया और बताया गया कि अनावेदक को दूसरी लड़की पसंद है। अनावेदक पेशे से वकील है और उसने आयोग के समक्ष स्वीकार किया कि सगाई होने तक उसे समझ नही आया था कि उसे विवाह करना है अथवा नही उसने स्वतः कहा कि सगाई के महज चार दिन बाद उसे समझ आया कि आवेदिका से वह विवाह नही कर सकता। आवेदिका ने यह बताया कि विवाह का रिश्ता तय होने के बाद से अनावेदक आवेदिका से देर रात तक फोन में बातचीत करता था और उसे यह रिश्ता पसंद भी था परंतु वह जानबुझकर आवेदिका और उसके परिजनों के बारे में अनर्गल बयानबाजी कर रहा है। आवेदिका ने अपने आवेदन में आयोग से यह मांग किया है कि अनावेदक का वकालत पंजीयन रद्द किया जाय। अनावेदक को पुछे जाने पर उसने कहा कि उसने रिश्ता इसलिये तोड़ा है कि उसे देर से समझ आया कि आवेदिका वह लड़की नही है जिससे उसे शादी करना चाहिये इसलिये उसने शादी से इंकार किया वह इसके लिये आवेदिका से मांफी भी मांगता है। आवेदिका से पुछा गया कि अब वह क्या चाहती है जिस पर आवेदिका ने तीन प्रस्ताव रखी। (1) सगाई में हुआ खर्च अनावेदक पक्ष वापस करें (2) अनावेदक पक्ष के रिश्तेदारों को दिये गये कपड़े चाहे वह उपयोग किये गये हों या नही वह आवेदिका को वापस करें (3) अनावेदक शादी तोड़ने के कारण को स्टॉम्प में लिखकर दें। आवेदिका के तीसरी शर्त का कोई औचित्य नहीं है आवेदिका पक्ष की ओर से सगाई में 11 महिलाओं को सांड़ी और 40 पुरुषों को धोती दी गई थी उसके अलावा सगाई में दिये गये गहने वापस करें, आवेदिका ने स्वतः कहा कि सगाई में दिये गये कपड़े गहने वह पैक करके रखी है उसे भी वह वापस कर देगी सगाई का खर्च वापस दिलाने पर अनावेदक का कथन है कि सगाई में सिर्फ 20 हजार खर्च हुआ था परंतु आवेदिका का कथन है कि सगाई में कुल 60 हजार रूपये खर्च हुआ था। अनावेदक 50 हजार रूपये सगाई का खर्च आवेदिका के बैंक एकाउन्ट में ट्रांसफर करने के लिये तैयार है अनावेदक ने कहा कि वह 20 हजार खर्च का और 30 हजार सगाई तोड़ने का क्षतिपूर्ति का देने को तैयार है अनावेदक का कथन है कि अगली सुनवाई तिथि के पूर्व आवेदिका के खाते में 50 हजार रूपये ट्रांसफर करेगा इस प्रकरण में काउंसलर श्रीमती चंद्रिका कौशल दोनो से बात कर पुष्टि होने पर दोनो पक्षों को आयोग में 8 जुलाई को बुलाया जायेगा जहां दोनो पक्षकार उपर में उल्लेखित सभी सामानों को लेकर अधिवक्ता व काउंसलर के समक्ष उपस्थित होंगे तत्पश्चात् प्रकरण नस्तिबद्ध किया जायेगा।