कांग्रेस का आरोप, मोदी सरकार में हुई 75 साल की सबसे बड़ी बैंक धोखाधड़ी
कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने एक के बाद एक कई ट्वीट करके केंद्र की मोदी सरकार पर बड़ा हमला बोला है. एबीजी शिपयॉर्ड धोखाधड़ीमामले में केंद्र को घेरते हुए सुरजेवाला ने कहा कि मोदी मॉडल- लूटो और भगाओ!
कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने ABG ग्रुप मामले को लेकर मोदी सरकार पर आरोप लगाए हैं. सुरजेवाला ने कहा कि 22842 करोड़ रुपये सार्वजनिक धन की धोखाधड़ी की गई है. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि मोदी सरकार की निगरानी में 75 साल में भारत की यह सबसे बड़ी बैंक धोखाधड़ी है.
सुरजेवाला ने ट्वीट किया कि मोदी सरकार के 7 साल में देश के सामने 3 तथ्य हैं. पहला 5350000 करोड़ रुपये के बैंक फ्रॉड हुए. दूसरा,817000 करोड़ रुपये देश की जनता के बैंकों ने बट्टे खाते में डुबाये और तीसरा यह कि 2100000 करोड़ रुपये बैंकों के NPA में इजाफा हुआ. दरअसल, एबीजी शिपयार्ड ने 28 बैंकों को 22,842 करोड़ रुपये का चूना लगाया है और अब तक इस मामले में 8 लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है. इस मामले की जांच सीबीआई को सौंपी गई है.
रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि यह अब तक सबसे बड़ा बैंक धोखाधड़ी का मामला है, जिसमें एबीजी शिपयार्ड लिमिटेड और उसके पूर्व अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक ऋषि कमलेश अग्रवाल के साथ-साथ भारतीय स्टेट बैंक के नेतृत्व वाले बैंकों के एक संघ को 22842 करोड़ रुपये से अधिक की धोखाधड़ी करने का आरोप है. सुरजेवाला का कहना है कि जालसाजों को धोखाधड़ी करने के लिए पूरा मौका दिया जा रहा है. उन्होंने कहा कि बीते 7 सालो में 535000 करोड़ रुपये की बैंक धोखाधड़ी ने हमारी बैंकिंग प्रणाली को बर्बाद कर दिया है.
सीबीआई ने एबीजी शिपयॉर्ड कंपनी और उसके प्रबंध निदेशक ऋषि अग्रवाल, कार्यकारी निदेशक संथानम मुथा स्वामी समेत 8 लोगों के खिलाफ 28 बैंकों से करीब 23 हजार करोड़ रुपए की धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया है. यह धोखाधड़ी नीरव मोदी (14 हजार करोड़) और विजय माल्या (9 हजार करोड़) द्वारा की गई ठगी से ज्यादा है. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो सीबीआई द्वारा दर्ज की गई शिकायत के अनुसार, अब तक 28 बैंकों और वित्तीय संस्थानों का कुल 22842 करोड़ रुपए हैं
इसमें से एबीजी पर का ICICI सबसे ज्यादा 7089 करोड़ रुपए बकाया है. वहीं IDBI को 3634 करोड़ और SBI को 2925 करोड़ का चूना लगाया गया है. इनमें से 6 बैंकों के 17734 करोड़ रुपए बकाया है जबकि 22 बैंकों को करीब 5108 हजार करोड़ रुपए इस शिपयार्ड कंपनी से लेना है. कंपनी के फॉरेंसिक ऑडिट से पता चला कि 2012 से 2017 के बीच आरोपियों ने मिलीभगत कर धन का दुरोपयोग किया. कर्ज किसी अन्य मकसद से लिया गया और पैसों का उपयोग दूसरे काम के लिए किया गया.