रायपुर दक्षिण विधानसभा सीट में कड़ी टक्कर
शहर की चार में से एक दक्षिण विधानसभा सीट सबसे ज्यादा हाट सीट बन गई है। दोनों ही राजनीतिक दलों के लिए यह सीट प्रतिष्ठा का विषय बन गई है। लोगों में गुरु और शिष्य के बीच की लड़ाई चर्चा का विषय बनी हुई है। भाजपा पर सीट बचाने तथा कांग्रेस पर दक्षिण के अभेद्य किले को जीतने की चुनौती है।
भाजपा से लगातार सात बार के विधायक बृजमोहन अग्रवाल चुनावी मैदान में हैं, वहीं कांग्रेस से महंत रामसुंदर दास हैं। दोनों ही प्रमुख पार्टियों के उच्च पदाधिकारियों ने कार्यकर्ताओं को निर्देशित किया है कि मतदान के मार्जिन से कोई लेना देना नहीं है। किसी भी हालत में केवल जीत चाहिए। यहां के लोगों का कहना है कि 12 प्रत्याशियों के नाम वापसी के चलते चुनावी समीकरण काफी दिलचस्प हो गया है। इससे पहले के चुनावों में दक्षिण से सर्वाधिक प्रत्याशी मैदान में होते थे।
यह है दिलचस्प पहलू
मालूम हो कि वर्ष-2018 के चुनाव में प्रदेशभर में कांग्रेस की लहर थी, लेकिन उस समय भी दक्षिण से भाजपा ने जीत हासिल की थी। इस बार महंत रामसुंदर दास कांग्रेस से चुनाव लड़ रहे हैं। महंत रामसुंदर दास दूधाधारी मठ के प्रमुख हैं, जबकि भाजपा प्रत्याशी बृजमोहन अग्रवाल मठ के अनुयायी हैं। बताया जाता है कि वे स्टूडेंट लाइफ से ही मठ के कार्यक्रम में जाते रहे हैं।
मतदाताओं की स्थिति
रायपुर दक्षिण में मतदाताओं की संख्या दो लाख 59 हजार 349 हैं। इसमें से करीब 28 हजार मुस्लिम और 27 हजार ब्राह्मण मतदाता हैं। बृजमोहन अग्रवाल दक्षिण से लगातार सात बार चुनाव जीतते आ रहे हैं। अविभाजित मध्य प्रदेश में भी वे विधायक थे। उन्हें भारी जनसमर्थन मिलता रहा है। वे जमीन से जुड़े नेता माने जाते हैं। वर्ष-1990 से लगातार विधायक बने हैं। यही उनकी लोकप्रियता का राज है। वहीं महंत रामसुंदर दास भी जांजगीर चांपा से दो बार के विधायक रह चुके हैं। उनका व्यक्तित्व आध्यात्मिक -धार्मिक है। वे जनमानस से गहराई से जुड़े हुए हैं।
कांग्रेस और भाजपा की ओर से एक-दूसरे पर बयानबाजी का दौर जारी है। पिछले दिनों तो एक प्रत्याशी के चुनाव प्रचार के दौरान धक्कामुक्की की घटना हो गई थी।प्रत्याशी ने जान से मारने की कोशिश का आरोप लगाया था। इस पर दूसरी पार्टी ने इसे केवल एक चुनावी स्टंट कहा था।