तपती धूप
Premdeep

आग उगलता सूरज दादा,
पवन ने भी अपना मर्यादा त्यागा ।
गर्म हवा चलती लूं ,
थपेड़े मारती गर्मी की धूप ।
बच्चों को नहीं ऐसे में मजा,
घर में रहना हो गई हो सजा ।
लंबे दिन और छोटी रातें,
ऊपर से बिजली गुल हो जाते ।
खाने में मजा न रातों को चैन ।
चिलचिलाती गर्मी करें सबको बेचैन ।
ठंडाई शरबत मन को भाए ,
आइसक्रीम के लिए जी ललचाए ।