जगदलपुर - बस्तर के सांस्कृतिक धरोहरों के संरक्षण पर 05 दिवसीय कार्यशाला आज से आरम्भ

जगदलपुर - बस्तर के सांस्कृतिक धरोहरों के संरक्षण पर 05 दिवसीय कार्यशाला आज से आरम्भ

जगदलपुर - बस्तर के सांस्कृतिक धरोहरों के संरक्षण पर 05 दिवसीय कार्यशाला आज से आरम्भ हो गई। कार्यशाला के शुभारंभ कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर बस्तर लोकसभा के सांसद माननीय श्री महेश बघेल जी आमंत्रित थे। उन्होंने अपने उद्बोधन में बस्तर के सांस्कृतिक विरासतों को सहेजने नई पीढ़ी को आगे आने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि देश के इतिहास में ऐसे अनेक उदाहरण मिलते हैं की इतिहास को मिटाने के लिए हमारी सभ्यता और संस्कृति के निशानियों पर अनेक बार आक्रमण किए गए। इसलिए इन्हें संरक्षित करना बहुत जरूरी है और पुरातत्त्व विभाग की इस कार्यशाला से बस्तर की युवा पीढ़ी को नई दिशा मिलेगी। शहीद महेंद्र कर्मा बस्तर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. मनोज कुमार श्रीवास्तव ने कार्यक्रम के अध्यक्ष की आसंदी से कार्यशाला की उपादेयता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि देश के इतिहास में बस्तर के इतिहास का महत्वपूर्ण योगदान है जिसे भारतीय इतिहास में रेखांकित किए जाने की जरूरत है। पुरातत्त्व विभाग द्वारा बस्तर में नल, नाग और काकतीय राजवंशों के धरोहरों को संरक्षित करने का प्रयास सराहनीय है। इसके साथ ही बस्तर की संस्कृति एवं परंपरा का भी संरक्षण किया जाना चाहिए। उन्होंने यह आशा व्यक्त की कि कार्यशाला के प्रतिभागी प्रशिक्षण के बाद अपने सांस्कृतिक धरोहरों को सहेजने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।

इस अवसर पर वरिष्ठ पुराविद् श्री जी. एल. रायकवार, जिला पंचायत के उपाध्यक्ष श्री मनीराम कश्यप, आदिम जाति एवं अनुसूचित जनजाति प्रकोष्ठ के अध्यक्ष श्री वनवासी मौर्य, डॉ. सुकृता तिर्की,  डॉ. आशीषधर दीवान, डॉ. गंगा राम कश्यप, श्री रतन व्यास, दंतेश्वरी महाविद्यालय और बस्तर विश्वविद्यालय के प्राध्यापक, पुरातत्त्व विभाग के अधिकारी एवं कर्मचारी उपस्थित रहे। डॉ. पी.सी. पारख, उप संचालक ने अतिथियों का स्वागत किया और प्रभात कुमार सिंह पुरातत्ववेत्ता ने कार्यक्रम का संचालन किया। व्याख्यान एवं परिचर्चा सत्र में क्षेत्रीय मानव विज्ञान संग्रहालय जगदलपर के अधीक्षण मानव विज्ञानी डॉ . पियूष रंजन साहू ने प्रतिभागियों को प्रागैतिहासिक बस्तर की जानकारी देते हुए मानव उद्विकास और आव्रजन के संबंध में विस्तार से बतलाया। यह कार्यक्रम संस्कृति विभाग, छत्तीसगढ़ शासन अंतर्गत संचालनालय पुरातत्व, अभिलेखागार एवं संग्रहालय रायपुर द्वारा कराया जा रहा है। कार्यशाला में बस्तर संभाग के विभिन्न जिलों के 55 विद्यार्थी भाग ले रहे हैं।