राज्यसभा में सांसद फूलोदेवी ने केंद्र को घेरा, मनरेगा के 350 करोड़ का भुगतान जल्द करने की गुजारिश
राज्यसभा सांसद फूलों देवी नेताम ने सदन में केंद्र सरकार को घेरा है. नेताम ने 350 करोड़ का मटेरियल पेमेंट नहीं किए जाने के मामले को लेकर भुगतान की गुजारिश की है.
राज्यसभा सांसद फूलोदेवी नेताम ने छत्तीसगढ़ को मनरेगा के तहत मिलने वाली मटेरियल पेमेंट को लेकर केंद्र से जवाब मांगा है. फूलो देवी नेताम के मुताबिक छत्तीसगढ़ में 350 करोड़ का मनरेगा मटेरियल पेमेंट नहीं हुआ है. इससे ग्रामीण इलाकों में मजदूरों की स्थिति प्रभावित हो रही है. वहीं मनरेगा शाखा में काम करने वाले कर्मचारियों को पिछले तीन महीने से वेतन नहीं मिला है. राज्यसभा में सांसद ने कहा कि कोरोना काल में मनरेगा ही ग्रामीण मजदूरों को बड़ा सहारा दे रहा है. ऐसे में यदि समय पर भुगतान ना हो तो मजदूरों के सामने विकट स्थिति पैदा हो जाती है.
राज्यसभा सांसद फूलोदेवी नेताम ने राज्यसभा में शून्य काल के तहत छत्तीसगढ़ में मनरेगा का 350 करोड़ के मेटेरियल पेमेंट नहीं दिए जाने का मामला उठाया. नेताम ने कहा कि केन्द्र से फंड नहीं मिलने के कारण छत्तीसगढ़ में मनरेगा के 350 करोड़ का मेटेरियल पेमेंट पेंडिंग हैं. इसके अलावा आकस्मिक निधि का भी भुगतान नहीं हो रहा है. मनरेगा में अगस्त 2021 यानी 7 माह से लेबर पेमेंट के लिए बिल एंट्री हो चुकी है, लेकिन केन्द्र की गाइड लाइन के तहत मनरेगा में सिस्टम को रीट माॅडल पर अपडेट किया जा रहा है. यह सिस्टम जब तक अपडेट नहीं होगा तब तक सरकार पेमेंट नहीं देगी और फंड ट्रांसफर ऑर्डर नहीं हो पाएगा.
नेताम ने कहा कि पुरानी भुगतान प्रक्रिया में यदि बदलाव करना था तो सिस्टम को पहले ही अपडेट कर लेना चाहिए था. कार्य में व्यवधान करना तो नई प्रक्रिया का हिस्सा नहीं होता है. भुगतान का रीट मॅाडल अपडेट होता रहेगा, इससे गरीब मजदूर प्रभावित नहीं होना चाहिए. नेताम ने केन्द्र सरकार से निवेदन करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ में मनरेगा के मेटेरियल पेमेंट के 350 करोड़, कर्मचारियों के वेतन का 20 करोड़ और आकस्मिक निधि का शीघ्र भुगतान किया जाए. साथ ही भविष्य में ऐसी स्थिति से बचने के लिए पहले से ही कार्ययोजना बनाकर नवाचारों को अपनाया जाए.
राज्यसभा सांसद फूलोदेवी नेताम ने राज्यसभा में विशेष उल्लेख नियम के तहत बच्चों में कैंसर के बढ़ते मामलों पर अपनी चिंता व्यक्त की है. फूलोदेवी ने कहा कि भारत में कैंसर के कुल मामलों में बच्चों में कैंसर के कुल 5 प्रतिशत मामले हैं. इसमें भी बालकों में कैंसर के मामले ज्यादा हैं. इसमें भी देश के कुल मामलों के मुकाबले दिल्ली क्षेत्र में बालकों में कैंसर के मामले कहीं ज्यादा सामने आए हैं. नेताम ने कहा कि देश में 5 से 14 साल की उम्र के बच्चों में मृत्यु दर का नौवां सबसे बड़ा कारण कैंसर है.
कैंसर की शुरूआती पहचान और सही समय पर इलाज नहीं होने के कारण छोटे बच्चों की मृत्यु हो जाती है. यदि कैंसर की पहचान हो भी जाती है तो महंगा इलाज होने के कारण ठीक नहीं हो पाते. अत्याधुनिक चिकित्सा संस्थानों में इलाज कराने वाले बच्चों के जीवित रहने की दर पांच साल के दौरान 75 से 80 फीसदी देखी गई है. इन जगहों पर पूर्ण प्रशिक्षित और अनुभवी बाल कैंसर विशेषज्ञ इलाज करते हैं. नेताम ने केन्द्र सरकार से मांग करते हुए कहा कि बच्चों में कैंसर के मामलों की रोकथाम के लिए एक व्यापक योजना बनाई जाए. अत्याधुनिक चिकित्सा संस्थानों की स्थापना की जाए. जहां पर गरीब बच्चों का अनुभवी डॉक्टर इलाज करें.