शासकीय दंतेश्वरी पी.जी. महिला महाविद्यालय, जगदलपुर में विश्व धरोहर सप्ताह कार्यक्रम का आयोजन

शासकीय दंतेश्वरी पी.जी. महिला महाविद्यालय, जगदलपुर में विश्व धरोहर सप्ताह कार्यक्रम का आयोजन

*21 अप्रैल 2025* को शासकीय दंतेश्वरी पी.जी. महिला महाविद्यालय, जगदलपुर के प्राचीन भारतीय इतिहास, संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग द्वारा * विश्व धरोहर सप्ताह* के अवसर पर एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य क्षेत्रीय धरोहर, ऐतिहासिक धरोहरों के संरक्षण और जागरूकता को बढ़ावा देना था।

कार्यक्रम का शुभारंभ प्राचार्य डॉ. राजीव गुहे की उपस्थिति में हुआ। कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में वरिष्ठ साहित्यकार एवं पुरातत्त्वविद सुश्री उर्मिला आचार्य (राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित) उपस्थित रहीं। कार्यक्रम के प्रारंभ में सुश्री उर्मिला आचार्य ने अपनी लिखित दो पुस्तकें प्राचार्य डॉ. राजीव गुहे को भेंट स्वरूप प्रदान कीं।  

इसके पश्चात इतिहास विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. आशिष दीवान ने कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए अतिथि का परिचय कराया और विश्व धरोहर सप्ताह के महत्व पर प्रकाश डाला।

कार्यक्रम के दौरान मुख्य वक्ता डॉ.  उर्मिला आचार्य ने बस्तर के नामकरण से जुड़ी ऐतिहासिक जानकारी भी साझा की। उन्होंने बताया कि बस्तर नाम के संबंध में प्रमुख तथ्य प्रचलित हैं जैसे  कि प्रारंभिक शासकों ने अपना अधिकांश समय बांस के झुरमुटों और वनों में बिताया। उस समय उनके रहने के लिए कोई उपयुक्त भवन नहीं था, इसलिए उस नव विजय क्षेत्र को  बरताली कहा जाता था। बाद में यह *बरताली कालांतर में  बस्तर में परिवर्तित हो गया।

इसी क्रम में दंतेवाड़ा में स्थापित दन्तेश्वरी मंदिर के इतिहास के बारे में भी बताया कि बस्तर साम्राज्य की स्थापना के समय राजा अन्नदेव अपनी कुल देवी दंतेश्वरी माई के साथ इस क्षेत्र में आए। देवी के निर्देशानुसार राजा अन्नदेव ने नए राज्य की स्थापना की। राजा ने देवी को साथ में बस्तर चलने के लिए कहा, देवी ने राजा को कहा कि वह उनके साथ चलने के लिए तैयार हो गई, शर्त यह था कि राजा को पीछे मुड़कर नहीं देखना है, किंतु जब माई का पैर डंकिनी नदी के रेत में धसने से पैर की आवाज नहीं आने पर राजा को संदेह हो जाता है कि देवी साथ में नहीं आ रही है और वह पीछे मुड़कर देखता है, और फिर दंतेश्वरी मैया वहीं पर स्थापित हो जाती हैं। इसी पौराणिक कथा के अनुसार इस क्षेत्र को विशेष धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व प्राप्त हुआ।
कार्यक्रम के दौरान *विश्व धरोहर सप्ताह के महत्व पर भी प्रकाश डाला गया। बताया गया कि इस दिन का उद्देश्य ऐतिहासिक धरोहरों का संरक्षण और उनके प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ाना है। बस्तर जैसी सांस्कृतिक और ऐतिहासिक रूप से समृद्ध भूमि में धरोहर सप्ताह का आयोजन विशेष महत्व रखता है।

अंत में, प्राचार्य डॉ. राजीव गुहे ने कार्यक्रम के सफल आयोजन हेतु विभाग को बधाई दी और कहा कि महाविद्यालय ऐसे आयोजनों के माध्यम से स्थानीय धरोहर और सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित एवं सहेजने का कार्य करता रहेगा।  

कार्यक्रम का संचालन डॉ हेमलता मिंज ने किया। इस कार्यक्रम में महाविद्यालय समस्त अधिकारी एवं छात्राएं उपस्थित रहे।