नारायणपुर में 33 लाख के इनामी 8 हार्डकोर नक्सलियों ने किया आत्मसमर्पण

नारायणपुर में 33 लाख के इनामी 8 हार्डकोर नक्सलियों ने किया आत्मसमर्पण

 छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद के खिलाफ चल रहे एंटी नक्सल ऑपरेशन में पुलिस और सुरक्षा बलों को एक और बड़ी कामयाबी मिली है। नारायणपुर जिले में अबूझमाड़ क्षेत्र से सक्रिय 8 हार्डकोर नक्सलियों ने आत्मसमर्पण कर मुख्यधारा में लौटने का फैसला किया है। आत्मसमर्पण करने वालों में चार महिला और चार पुरुष नक्सली शामिल हैं, जिन पर कुल 33 लाख रुपये का इनाम घोषित था।

टेक्निकल टीम का कमांडर भी शामिल
आत्मसमर्पण करने वालों में एक टेक्निकल टीम का कमांडर, जो हथियार निर्माण का विशेषज्ञ बताया जा रहा है, भी शामिल है। साथ ही, PLGA बटालियन के प्लाटून 1 और प्लाटून 16 के पांच सदस्य, और एक ब्यूरो TD (तकनीकी विभाग) का सदस्य भी है, जो माओवादी संगठन में हथियार बनाने का काम करता था।

नक्सल मुक्त बस्तर की दिशा में अहम कदम
सरकार द्वारा चलाए जा रहे मॉनसून ऑपरेशन और घने जंगलों में सुरक्षा बलों की लगातार मौजूदगी से अब नक्सली खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। नदियों और दुर्गम इलाकों को सुरक्षा कवच मानने वाले नक्सलियों में भय का माहौल बना है, जिससे आत्मसमर्पण की संख्या में तेजी आई है।

IG सुंदरराज पी का बयान
बस्तर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक सुंदरराज पी ने कहा: "2025 के पहले छह महीनों में ही 204 माओवादी मारे गए और 140 ने आत्मसमर्पण किया है। मानसून की चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों के बावजूद ऑपरेशन की सफलता सुरक्षाबलों के दृढ़ संकल्प और प्रतिबद्धता को दिखाती है। बस्तर में अब स्थायी शांति और विकास की बुनियाद मजबूत हो रही है।"

SP रॉबिंसन गुड़िया की जानकारी
नारायणपुर एसपी रॉबिंसन गुड़िया ने बताया: "आत्मसमर्पण करने वाले सभी माओवादी संगठन के प्रमुख ऑपरेशनल विंग PLGA के सदस्य हैं। इन पर कुल मिलाकर 33 लाख रुपये का इनाम घोषित था। यह आत्मसमर्पण संगठन की कमजोर होती पकड़ और प्रशासन की रणनीतिक सफलता का प्रमाण है।"

आत्मसमर्पण नीति का असर
राज्य सरकार की पुनर्वास नीति और आत्मसमर्पण योजना का असर लगातार दिखाई दे रहा है। आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को पुनर्वास, सुरक्षा और रोजगार का भरोसा दिया जा रहा है, जिससे कई माओवादी हिंसा छोड़ कर समाज की मुख्यधारा से जुड़ रहे हैं।

नक्सलियों की वापसी, बस्तर में शांति का संदेश
यह आत्मसमर्पण केवल एक पुलिस ऑपरेशन की सफलता नहीं, बल्कि बस्तर में बदलते माहौल और बढ़ते विश्वास का संकेत है। सरकार, सुरक्षा बल और प्रशासन की संयुक्त रणनीति अब बस्तर को नक्सल मुक्त बनाने की दिशा में निर्णायक साबित हो रही है।