कभी सोचा ना था
मोना चन्द्राकर मोनालिसा रायपुर छत्तीसगढ़
कभी मुझे यूं ही तुम छोड़ दोगे ग़म की तन्हाईयों में...
जिन्दगी में कभी ऐसा दिन भी आएगा सोचा ना था...
तुम्हारे साथ खुश हो के उम्र कट रही थी बड़े इत्मीनान से...
तुम ऐसे रूलाओगे कभी मुझे सोचा ना था...
तुम्हारे अनगिनत आशाओं को पूरा करती थी मैं...
मेरी एक ज़रा सी उम्मीद भी पूरी न कर सकोगे सोचा ना था...
हमारे रिश्ते को सहेजने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी मैंने...
उसी प्यार भरे रिश्ते को यूं एक ही पल में तोड़ दोगे सोचा ना था...
निस दिन हमारे प्रेम गीत लिखती थी तुम्हारे लिए...
कभी विरह गीत भी लिखना पड़ेगा सोचा ना था...
मेरी हर जिद्द को पूरा करने दुनिया की ना सोचते थे तुम...
तुम अपनी एक जिद्द के आगे हमारा रिश्ता दांव पे लगाओगे सोचा ना था...