कूर्मि इतिहासकार एवं साहित्यकार सम्मेलन

कूर्मि इतिहासकार एवं साहित्यकार सम्मेलन

कुर्मी इतिहास अनुसंधान परिषद” के बैनर अन्तर्गत पूरे देश में निवास करने वाले कुर्मी जाति पुंज (उत्तर भारत के कुर्मी एवं उसकी सहोदर जातियों) का प्रथम साहित्यकार/ इतिहासकार सम्मेलन किया जाना है। इस सम्मेलन में कुर्मी, कुड़मी महतो, कुनबी, कुलबी, आंजण, कलबी, कुलमी और कणबी पाटीदार (लेवा और कड़वा), सिरबी, डांगी पाटीदार, धानुक (तीली, गंगौता, कैवर्त और अमात ) कम्बोज, रोड़ मराठा, खंडायत, महन्ता, मराठा कुणबी, कुलवदी, कुलबाड़ी, कम्मा, कापू, रेड्डी, वक्कालिंगर ,कुडुम्बी, कुडुम्बर, वेल्लाल आदि खेतिहर समुदायों के लेखकों (इतिहासकार/ साहित्यकार) का प्रतिनिधित्व होगा। यह सम्मेलन की कार्यवाही हिन्दी और अंग्रेज़ी भाषाओं में संपादित होगी। 

उक्त कार्यक्रम में उन्हीं साहित्यकारों को आमंत्रित किया जा रहा है; जो नियमित रूप से समाज के लिए लिख रहे हैं या पत्र पत्रिकाओं का प्रकाशन कर रहे हैं. कार्यक्रम में लगभग पचास लेखक/ वक्ता के रूप में तथा लगभग पचास युवा शोधार्थी के रूप में आमंत्रित किए जाएगे; जिनकी सामाजिक इतिहास व साहित्य लेखन एवं पठन में रूचि रखते हो और जो सोशल मीडिया पर लेखकों के रूप में सक्रिय हैं। 

कार्यक्रम के पूर्व सभी लेखकों से उनके लिए निर्दिष्ट बिंदुओं पर लेख आमंत्रित है तथा प्राप्त लेखों को स्मारिका के रुप में प्रकाशित किया जाएगा।यह लेख हिंदी और अंग्रेज़ी भाषाओं में ही स्वीकार होगा तथा कार्यक्रम के दौरान निर्धारित विषयवस्तु में समाज का वैज्ञानिक इतिहास और उसके लेखन की दशा एवं दिशा, सामाजिक महापुरुष, कृषि, शिक्षा, उद्योग, व्यापार, व्यवसाय, सोशल मीडिया आदि पर विशेषज्ञों के उद्बोधन होंगे। 

कृपया अपने अपने क्षेत्र/ भाषाओं के सामाजिक साहित्यकारों को यह जानकारी भेजते हुए उन्हें कार्यक्रम में शामिल होने हेतु प्रेरित करने का कष्ट करें। कार्यक्रम में शामिल होने के लिए पंजीयन हेतु ऑनलाईन लिंक https://forms.gle/LYd2TRUK4PsEAp8X9 है।

उपरोक्त पंजीयन में तकनीकी सहयोग हेतु संपर्क कीजिए:-
ऽ ईजी. प्रशांत पटेल, मोबाईल नं. 9617066669
ऽ ईजी. सुरेश कौशिक, मोबाईल नं. 9589033432

ज्ञातव्य हो कि यह कार्यक्रम कूर्मि समाज का इस विषय पर यह प्रथम कार्यक्रम है अतएव इस विषय पर विशेषज्ञता/ रूचि रखने वाले महानुभाव नीचे दिए गए व्यक्तियों से संपर्क करते हुए कार्यक्रम के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त कर सकते है।
1. कूर्मि चौधरी राजेश मोहन (एड.) सागर (म. प्र.)- राष्ट्रीय सह संयोजक साहित्य/ लेखन विकास समिति- अखिल भारतीय कूर्मि-क्षत्रिय महासभा तथा राष्ट्रीय प्रभारी- आर. डी. गौर राष्ट्रीय पुस्तकालय एवं शोध संस्थान भोपाल, मोबाईल नं. 9340092615 
2. कूर्मि उपेन्द्र सिंह, रांची (झारखंड), राष्ट्रीय संयुक्त मंत्री-अखिल भारतीय कुर्मी क्षत्रिय महासभा, मोबाईल नं. 9934524022 
3. कूर्मि डॉ. जीतेंद्र सिंगरौल, रायपुर (छत्तीसगढ़) राष्ट्रीय प्रवक्ता -अखिल भारतीय कुर्मी क्षत्रिय महासभा, मोबाईल नं.  8319868746, 9425522629 

सम्मेलन हेतु लेख/चर्चा के लिए प्रमुख विषय-वस्तु 
”कुर्मी इतिहास अनुसंधान परिषद” के बैनर अन्तर्गत पूरे देश में निवास करने वाले कुर्मी जाति पुंज का प्रथम साहित्यकार/ इतिहासकार सम्मेलन कूर्मि समाज के लेखकों से निम्नांकित बिंदुओं पर आलेख आमंत्रित किए जाते है:-

अ/- इतिहास खंड                                                                                                             
• इतिहास क्या है? जातीय इतिहास क्यों आवश्यक है? पुरातात्विक और वैज्ञानिक प्रमाणों के आधार पर कुर्मी समुदाय के इतिहास पर शोध और अनुसंधान कैसे किए जावें एवं इतिहास लेखन कैसे किया जाए?
• महाजनपद काल (छठवीं शताब्दी ईसा पूर्व ) से लेकर मराठा काल (1707 ई. ) तक (वैज्ञानिक प्रमाणों और पुरातात्विक स्त्रोतों के आधार पर  बारहवीं शताब्दी में पेशा आधारित जातियों के उदय से पूर्व के महाजनपद कालीन गणराज्यों, साम्राज्यों, राजवंशों एवं वंशों/ कबीलों में कुर्मी समुदाय के पूर्वजों के इतिहास की पड़ताल!)                                                               
• मराठा काल (1707 ई.) से ब्रिटिश काल (1757 ई.) तक उत्तर भारत के मुगल साम्राज्य एवं दक्षिण भारत की मुस्लिम सल्तनतों की साम्राज्यवादी, किसान विरोधी एवं जनविरोधी नीतियों के विरुद्ध कुर्मी समुदाय के संघर्ष का इतिहास। (छत्रपति शिवाजी महाराज और मराठा कुणबी समुदाय के विशेष संदर्भ में।)    
                                                             
ब/-स्वतंत्रता संग्राम खंड                                                                                
• ब्रिटिश साम्राज्य की किसान एवं जनविरोधी नीतियों के विरुद्ध सन 1857 से पूर्व हुए विद्रोहों में कुर्मी समुदाय की भूमिका (शहीद रघुनाथ महतो के नेतृत्व में हुए झारखंड के चुहाड़ विद्रोह एवं उड़ीसा के पाइक विद्रोह के विशेष संदर्भ में!)                                                                                
• कर्नाटक की रानी कित्तूर चेनम्मा का संघर्ष!                                       
• 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में कुर्मी समुदाय की भूमिका (राजा जयलाल सिंह और राजा वेणीमाधव सिंह के विशेष संदर्भ में)                                                                                
• सन 1920 से लेकर सन 1947 तक चले राष्ट्रीय स्वाधीनता आंदोलन के द्वितीय चरण में कुर्मी समुदाय की भूमिका।    
                                                                          
स/- राष्ट्र निर्माण खंड                                                                                       
नवोदित भारत के निर्माण में कुर्मी समुदाय का योगदान (बैरिस्टर विटृठलभाई पटेल और सरदार वल्लभ भाई पटेल की भूमिका के विशेष संदर्भ में)   
                                                                             
 द/- सामाजिक न्याय खंड                                                                               
• भारत के सामाजिक न्याय आंदोलनों में कुर्मी समुदाय का योगदान!   
• भारत के सामाजिक न्याय आंदोलनों के क्षेत्र में संत वेमना रेड्डी, संत तुकाराम, महर्षि विटृठल रामजी शिंदे, सर सयाजीराव गायकवाड़, छत्रपति शाहूजी महाराज पेरियार ई. वी. रामस्वामी नायकर, महामना रामस्वरूप वर्मा एवं त्याग मूर्ति राम लखन सिंह चंदापुरी, डॉ. खूबचंद बघेल और बोधिसत्व डॉक्टर सोनेलाल पटेल का योगदान।        
                                         
र/- सामाजिक नवजागरण खंड (सन 1850 से आज तक)                      
• ब्रिटिश शासन में अंग्रेजी शिक्षा के प्रभाव के परिणामस्वरूप कुर्मी समुदाय में आधुनिक चेतना का उदय और उसके परिणामस्वरूप सामाजिक सुधारों का प्रारंभ।
• गुजरात में सेठ अम्बाईदास, बहेचरदास लश्करी द्वारा किए गए सामाजिक सुधार।  
• बिहार में रायबहादुर बाबू जनकधारी लाल द्वारा किए गए सामाजिक सुधार।   
• ”कुर्मी सदर सभा” की स्थापना और सामाजिक चेतना के विकास में उसका योगदान। 
• अखिल भारतीय कुर्मी क्षत्रिय महासभा की स्थापना और सामाजिक चेतना की वृद्धि में उसका योगदान। 
• कुर्मी समाज के इतिहासकार/ साहित्यकार एवं उनका इतिहास/ साहित्य लेखन एवं उसके सामाजिक प्रभावों की समीक्षा।    
• कुर्मी समाज के इतिहास/ साहित्य के संरक्षण हेतु राष्ट्रीय पुस्तकालय एवं शोध संस्थान की स्थापना पर चर्चा। 
• अखिल भारतीय कुर्मी क्षत्रिय महासभा के इतिहासकारों / साहित्यकारों द्वारा लिखित साहित्य के प्रकाशन हेतु महासभा के प्रकाशन की स्थापना की आवश्यकता पर विचार।  
• राष्ट्रीय स्तर पर सूचना एवं संवाद के माध्यम के रूप में राष्ट्रीय स्तर की बहुभाषिक मासिक पत्रिका निकालने के लिए ट्रस्ट की स्थापना की आवश्यकता पर विचार।  
• समाज के इतिहास /साहित्य लेखन में विशिष्ट योगदान देने वाले इतिहासकारों /साहित्यकारों की स्मृति में पुरस्कार दिए जाने पर विचार। 
• सामाजिक विकास के लिए अन्य विविध सोपानों पर विचार। 

उपरोक्त बिंदुओं के अंतर्गत अपने आलेख तैयार कर (अधिकतम 7 से 8 पृष्ठ) कंप्यूटर टाईप कर [email protected] ईमेल पर अपना आलेख भेजने का कष्ट करें। कृपया ध्यान दें, जिस विषय वस्तु पर आपका आलेख है, उसी विषय पर आपको उद्बोधन का अवसर दिया जाएगा। 

कूर्मि समाज द्वारा आयोजित अपने तरह के इस प्रथम कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए आप सभी का सहयोग आपेक्षित है; ताकि आगे के कार्यक्रमों के लिए इसे एक उदाहरण बनाया जा सकें। आशा है आपके सहयोग एवं मार्गदर्शन से यह कार्यक्रम समाज विकास में नीव का पत्थर साबित होगा। इन्ही आशा एवं विश्वास के साथ-

आपका ही, 
कूर्मि चौधरी राजेश मोहन (एड.) सागर (म. प्र.)
राष्ट्रीय सह संयोजक साहित्य/ लेखन विकास समिति,
अखिल भारतीय कूर्मि-क्षत्रिय महासभा 
तथा राष्ट्रीय प्रभारी- आर. डी. गौर राष्ट्रीय पुस्तकालय एवं शोध संस्थान भोपाल, 
मोबाईल नं. 9340092615 

नोटः- इस कार्यक्रम में किसी व्यक्ति, किसी धर्म या किसी पार्टी की निंदा या प्रशंसा वर्जित रहेगी। आप अपनी बात केवल ऐतिहासिक, सामाजिक सांस्कृतिक परिपेक्ष्य में ही रख सकते हैं।