कोई ही समझता है ख़ामोशी की जुबां

मोना चंद्राकर मोनालिसा रायपुर छत्तीसगढ़

कोई ही समझता है ख़ामोशी की जुबां

कोई कोई ही समझता है ख़ामोशी की जुबां
किसी के मन को सही पढ़ना नहीं है आसां 

अनकहा कुछ छुपा है किसी के ख़ामोशी में
यहां सब नहीं मिलते हैं कोई खास मेहरबां

आँखों से समझनी होती है दिल की बात
आँखें सब अनकही बातें कर देती है बयां 

कई बार शब्दों का अर्थ नहीं समझते हैं 
देना पड़ता है कभी शब्दों का भी इम्तिहां

सच्चा दिल ही समझता है दिल की जुबां
हर कोई नहीं समझ पाता ख़ामोशी की जुबां