1 जुलाई से अध्यापन कार्य प्रारंभ लेकिन उच्च शिक्षा विभाग अतिथि व्याख्याता की नियुक्ति पर मौन

छत्तीसगढ़ में नया शिक्षा सत्र प्रारंभ हो चुका है और प्रत्येक वर्ष की भांति इस सत्र में भी शासकीय महाविद्यालयों में अतिथि व्याख्याता कि नियुक्ति पर राज्य शासन व उच्च शिक्षा विभाग मौन है, इसी तरह की उदासीनता को माननीय उच्च न्यायालय द्वारा संज्ञान लेकर 28 जुलाई 2023 को अतिथि व्याख्याता के लिए पॉलिसी बनाने हेतु आदेश जारी किया गया था जिसके परिपालन में 26 जून 2024 की सुनवाई में शासन के द्वारा अतिथि व्याख्याता नीति 2024 प्रस्तुत किया गया जिस पर माननीय उच्च न्यायालय द्वारा तत्काल पॉलिसी लागू करने हेतु आदेश जारी किया गया है। उक्त तिथि से अतिथि व्याख्याता पॉलिसी लागू है। पॉलिसी के तहत अतिथि व्याख्याता को 11 माह कार्य एवं 1 माह सेवा से पृथक रखा गया है, लेकिन प्रदेश के शासकीय महाविद्यालयों के प्राचार्य, शासन के आदेश बिना ही 15 मई 2025 को सेवा समाप्त कर चुके हैं अब उनकी पुनःनियुक्ति के संबंध में विभाग और प्राचार्य मौन हैं, जिसका दंश विद्यार्थियों को झेलना पड़ रहा है। विदित हो कि राज्य में नई शिक्षा नीति 2020 लागू है जिसके लिए उच्च शिक्षा विभाग ने अकादमिक कैलेण्डर भी जारी किए हैं जिसमें 1 जुलाई से अध्यापन कार्य आरंभ है और 28 नवंबर से प्रथम सेमेस्टर परीक्षा लिया जाना है उक्त अवधि में आंतरिक मूल्यांकन परीक्षा, एसाइनमेंट, प्रायोगिक परीक्षा के साथ महाविद्यालय में विद्यार्थियों के बहुमुखी विकास के लिए अनेकों विधा का संचालन भी होना। प्रदेश के 335 शासकीय महाविद्यालयों में अध्ययन - अध्यापन की जिम्मेदारी अतिथि व्याख्याता व्याख्याता के कंधे पर होती है उचित समय पर नियुक्ति नहीं मिलने की वजह से पाठ्यक्रम भी पूरा नहीं हो पाता है जिससे छात्र - छात्राओं के परीक्षा परिणाम पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है और अतिथि व्याख्याता को भी आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ता है। अतिथि व्याख्याताओं द्वारा विद्यार्थियों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए शासन से अविलंब की नियुक्ति हेतु आदेश जारी कराने की मांग की है।