राज्य के मूल निवासी शिक्षित बेरोजगारों के हितों को ध्यान में रखते हुए अतिथि व्याख्याता नीति 2024 के कंडिका क्रमांक 5.4 में संशोधन करते हुए छत्तीसगढ़ मूल निवासी अभ्यर्थियों को प्राथमिकता के स्थान पर अनिवार्य किया जावे
लव कुमार वर्मा (प्रदेश अध्यक्ष) छत्तीसगढ़ मूलनिवास अतिथि व्याख्याता कल्याण संघ

राज्य के मूल निवासी शिक्षित बेरोजगारों के हितों को ध्यान में रखते हुए अतिथि
व्याख्याता नीति 2024 के कंडिका क्रमांक 5.4 में संशोधन करते हुए छत्तीसगढ़ मूल निवासी अभ्यर्थियों को प्राथमिकता के स्थान पर अनिवार्य किया जावे एवं अतिथि व्याख्याता नीति 2024 की कंडिका 6.7.1 में आवश्यक संशोधन करते हुए छत्तीसगढ़ मूल निवासियों को सर्वप्रथम प्राथमिकता देते हुए राज्य के क्रमशः पीएचडी नेट सेट, एमफिल एवं स्नातकोत्तर डिग्री को मेरिट में प्रथम प्राथमिकता उपरांत अन्य राज्यों के अभ्यर्थियों पर विचार किया जाए, क्योंकि वर्तमान में छत्तीसगढ़ राज्य के सभी शासकीय महाविद्यालय में अतिथि व्याख्याता के माध्यम से अध्यापन कार्य संचालित हो रहा है, लेकिन दिनांक 18/08/2025 को जारी पत्र में समान श्रेणी एवं समान मेरिट पाइंट के शर्त के कारण दूसरे राज्य के अभ्यर्थियों के ऊपर आने से राज्य के योग्य युवाओं को लाभ से वंचित होना पड़ा है जिससे राज्य के शिक्षित युवाओं में भारी आक्रोश है। यह शिक्षित युवा प्रदेश के भविष्य माने जाते हैं लेकिन इन युवाओं का भविष्य ही खतरे में है। समुचित न्याय की अपेक्षा के साथ सादर संप्रेपित ।अतिथि व्याख्याता नीति-2024 की कंडिका-6.7.1 में संशोधन
छत्तीसगढ़ के 335 महाविद्याल में कार्यरत अतिथि व्याख्याता भर्ती में मूल निवास लागू नई होने प्रदेश 800 से ऊपर बाहर राज्य वाले चयन कर दिया गया। आदरणीय पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जी उच्च शिक्षा विभाग के सचिव को पत्र लिख कर निवेदन किया है।इसलिए छत्तीसगढ़ मूल निवास अनिवार्य लागू किया जाए उपरोक्त विषयांतर्गत लेख है कि राज्य शासन द्वारा अतिथि व्याख्याता नीति-2024 को मंत्रिपरिषद के समक्ष प्रस्तुत कर उक्त नीति पर दिनांक 19 जून, 2024 (आयटम क्रमांक 1006) द्वारा अनुमोदन प्राप्त किया गया है। अतिथि व्याख्याता नीति 2024 के कण्डिका क्रमांक 5.4 में लिखा गया है कि छत्तीसगढ़ के मूल निवासी को प्राथमिकता दी जायेगी, लेकिन कार्यालय आयुक्त द्वारा महाविद्यालय के प्राचार्यों को जारी आदेश क्रमांक ESTB/7399/2025-RAJPATRIT STHAPANA, दिनांक-18/08/2025 में "समान श्रेणी एवं समान मेरिट पॉइंट होने पर छत्तीसगढ़ के मूल निवासी को प्राथमिकता दिया जायेगा।" जिस प्रकार से इसका स्पष्टीकरण दिया गया है उससे राज्य के मूल निवासी अभ्यर्थियों के आत्मसम्मान को गहरा आघात पहुंचा है।
महोदय जी, विदित हो कि, अतिथि व्याख्याता नीति 2024 के कण्डिका क्रमांक 6.7.1 में लिखा गया है "विश्वविद्यालय / महाविद्यालयों में सर्वप्रथम अतिथि व्याख्याता, अतिथि ग्रंथपाल एवं अतिथि क्रीड़ा अधिकारी की व्यवस्था की जावेगी। श्रेणी-1 के अभ्यर्थी के नाम पर सर्वप्रथम विचार किया जाएगा। इस श्रेणी का कोई अभ्यर्थी उपलब्ध न हो तो क्रमशः श्रेणी-2 एवं श्रेणी-3 के अभ्यर्थी के नामों पर विचार किया जाएगा। उक्त तीनों श्रेणी में अभ्यर्थी उपलब्ध न होने पर ही अतिथि शिक्षण सहायक, अतिथि ग्रंथालय सहायक एवं अतिथि क्रीड़ा सहायक की व्यवस्था हेतु शेष अभ्यर्थी के नामों पर विचार किया जायेगा।"
अतिथि व्याख्याता नीति 2024 की 6.7.1 में भी संशोधन की आवश्यकता इसलिए है जिससे कि छत्तीसगढ़ की मूल निवासी अभ्यर्थियों के हितों की रक्षा हो सके, इसलिए उक्त कंडिका में मूल निवास शब्द का उल्लेख करते हुए संशोधित होकर कंडिका 6.7.1 इस प्रकार लिखा जाना चाहिए कि-
"कंडिका 6.7.1, विश्वविद्यालय / महाविद्यालयों में सर्वप्रथम छत्तीसगढ़ के मूल निवासी अतिथि व्याख्याता, अतिथि ग्रंथपाल, अतिथि क्रीड़ा अधिकारी की व्यवस्था की जावेगी। छत्तीसगढ़ के मूल निवासी अभ्यर्थियों के आवेदन पर पहले विचार करते हुए श्रेणी 1 के मूल निवासी अभ्यर्थी के नाम पर पहले विचार किया जाएगा। इस श्रेणी का कोई अभ्यार्थी उपलब्ध न हो तो क्रमशः श्रेणी 2, श्रेणी 3 के मूल निवासी अभ्यर्थियों के नामों पर विचार किया जाएगा। उक्त तीनों श्रेणी के अभ्यर्थी नहीं मिलने की स्थिति में अतिथि शिक्षक सहायक, अतिथि ग्रंथपाल सहायक, अतिथि क्रीड़ा सहायक हेतु शेष मूल निवासी अभ्यर्थियों के नाम पर विचार किया जाएगा। छत्तीसगढ़ के मूल निवासी अभ्यर्थियों के आवेदन नहीं मिलने की स्थिति में अन्य राज्यों के अभ्यार्थियों के आवेदन पर इसी प्रकार क्रमशः विचार किया जाएगा।"
सरकार ने भी हमेशा यही कहा कि छत्तीसगढ़ के बेटा-बेटियों को अवसर देकर उन्हें शिक्षा व्यवस्था की रीढ़ बनाया जाए लेकिन वर्तमान में धरातल की तस्वीर इससे उलट है। सभी महाविद्यालयों में बाहर के राज्यों से आए अभ्यर्थियों को प्राथमिकता दी जा रही है, जबकि स्थानीय योग्य युवा बेरोजगारी की मार झेल रहे हैं। यह केवल नौकरी का प्रश्न नहीं है, बल्कि हर छत्तीसगढ़िया की आत्मसम्मान से जुड़ा मुद्दा है। "पहिली प्राथमिकता माटी के बेटा-बेटी ला मिलना चाहीं" तभी छत्तीसगढ़ महतारी का मान-सम्मान भी सुरक्षित रहेगा और युवाओं की मेहनत को सही मुकाम मिलेगा।
अत महोदय जी से निवेदन है कि अतिथि व्याख्याता नीति-2024 की कंडिका 6.7.1. में संशोधन करते हुए वर्तमान सत्र 2025-26 में हुए अतिथि व्याख्याताओं की नियुक्त उक्त संशोधित कंडिका के तहत की जानी चाहिए, तथा सत्र 2024-25 में नियुक्त अतिथि व्याख्याताओं के स्थान पर विज्ञापन जारी कर संशोधित कंडिका 6.7.1. के तहत की जानी चाहिए, ताकि छत्तीसगढ़ मूल निवास अभ्यर्थियों को प्राथमिकता प्राप्त हो सके।