शा. एन ई एस महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ विजय रक्षित हुए सेवानिवृत,, महाविद्यालय और नगरवासी उनके कार्यो को सदैव याद रखेगा
डॉ विजय रक्षित की कुशल कार्यक्षमता उत्कृष्ट योगदान सबके लिए प्रेरणास्त्रोत हैं। ये सेवानिवृत्त जरूर हुए हैं, पर सेवा के दायित्वों से नहीं। इनके मार्गदर्शन की महाविद्यालय को हमेशा अपेक्षा रहेगी। उक्त बातें शासकीय राम भजन राय एन ई एस महाविद्यालय जशपुर के भूतपूर्व प्राचार्य डॉ बी एन उपाध्याय ने महाविद्यालय में आयोजित सेवानिवृत्त प्राचार्य डॉ विजय रक्षित के विदाई समारोह को संबोधित करते हुए कहे।
इस अवसर पर उपस्थित विशिष्ट अतिथि गण, महाविद्यालय के प्रोफेसर गण एवं कर्मचारी समूह ने उन्हें भावभीनी विदाई दी। सभी ने उन्हें पुष्पमाला पहनाकर उनके सेवाकाल की चर्चा की। सेवानिवृत्त हुये प्राचार्य डॉ विजय रक्षित को विशेष सम्मान द्वारा सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम के शुरुआत में प्राचार्य डॉ विजय रक्षित एवं विशेष अतिथियों को स्वागत परंपरागत मांदरदल नृत्य के साथ प्राचार्य कक्ष से सेमिनार हॉल तक लाया गया ।
सर्वप्रथम उपस्थित मुख्य अतिथि एवं विशेष अतिथियों द्वारा माँ सरस्वती की वंदना एवं दीप प्रज्वलन के साथ किया गया।
मुख्य अतिथि डॉ विजय रक्षित एवं विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित मधु छ्न्दा रक्षित, डॉ विजय रक्षित के परिवार, डॉ बी एन उपाध्याय भूतपूर्व प्राचार्य, डॉ व्ही पाठक प्राचार्य आरा, डॉ विनायक साय, प्राचार्य शासकीय बाला साहेब देशपांडे महाविद्यालय कुनकुरी, निशी एक्का, प्राचार्य दुलदुला इत्यादि अतिथियों का स्वागत पुष्प माला एवं महाविद्यालय के छात्र छात्राओ ने गीत के माध्यम से किया।
कार्यक्रम के उद्बोधन में महाविद्यालय के वर्तमान प्राचार्य डॉ उमा लकड़ा ने डॉ विजय रक्षित के सम्पूर्ण शासकीय जीवन में किये गये महत्वपूर्ण कार्यों को क्रमबद्ध तरीके से प्रकाश डाला। आगे उन्होंने कहा जशपुर के इतिहास को विश्व जगत में पहुंचाने में अमूल्य योगदान रहा, उन्होंने इतिहास के क्षेत्र में सम्पूर्ण जीवन न्यौछावर कर दिया।
उद्बोधन में महाविद्यालय के अर्थशास्त्र के प्राध्यापक डॉ अमरेंद्र ने अपने साथ बिताये गए अनुभवो को साझा किये, किस प्रकार अस्वस्थ रहते हुये भी प्राचार्य के अगुवाई में महाविद्यालय ने सफलतापूर्वक नैक के मूल्यांकन को पूर्ण किया एवं अपने सम्पूर्ण कार्यकाल में किस प्रकार अपने निरंतर प्रयास से महाविद्यालय को उचाईयों तक ले गए।
डॉ व्ही पाठक, प्राचार्य आरा ने अपने उद्बोधन में बताया कि डॉ विजय रक्षित ने इतिहास के शोध के क्षेत्र अतुलनीय योगदान किया हैं उनके द्वारा बहुत सारे शोध पत्रों को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय शोध पत्रों में प्रकाशित किया गया।
आगे डॉ विनायक साय, प्राचार्य शासकीय बाला साहेब देशपांडे महाविद्यालय कुनकुरी ने अपने उद्बोधन में बताया डॉ विजय रक्षित ने छत्तीसगढ़ के उच्च शिक्षा जगत में अहम योगदान दिया।
महाविद्यालय के राजनीति शास्त्र के प्राध्यापक एवं नव संकल्प के प्राचार्य डॉ ए के श्रीवास्तव ने कहा कि छात्र-छात्राओं को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देना उनकी पहली प्राथमिकता थी, उन्होंने महाविद्यालय प्रशासन के साथ साथ इतिहास के छात्रों एवं शोध छात्रों को निरंतर निर्देशन का कार्य किये।
आगे के उद्बोधन में डॉ बी के राय, प्राचार्य पत्थलगांव ने डॉ विजय रक्षित के साथ बिताए हुए अच्छे समय और यादों को साझा किया था। साथ ही उन्होंने कहा कि उनका नेतृत्व कौशल तथा शैक्षणिक उपलिव्यधयां हम सभी के लिए प्रेरणा का स्रोत रहीं हैं और हमने उनसे जो सीखा है, उसके लिए हम उनके आभारी हैं। विदित हो डॉ बी के राय प्राचार्य के नेतृत्व में अपना शोध कार्य पूरा किये थे।
प्रो खाखा ने उनके साथ के अनुभवों को साझा किये और बताया कि उनका उच्च शिक्षा से विदाई से रिक्त हुए स्थान को पूरा करना आसान नहीं होगा।
प्रो एस पी भगत, शासकीय महाविद्यालय मनोरा ने बताया कि किस प्रकार डॉ रक्षित के नेतृत्व में मनोरा महाविद्यालय विकास कि उचाईयों को छू रहा हैं।
प्रो अजित, गुरुकुल महाविद्यालय पत्थळगाव ने भी अपने साथ के अनुभवों को साझा किये।
महाविद्यालय के भूतपूर्व प्राचार्य डॉ बी एन उपाध्याय ने डॉ विजय रक्षित के सम्पूर्ण जीवन एवं उनके उपाधियों पे प्रकाश डाला साथ ही बताये कि किस प्रकार से यशस्वी बना जा सकता है, उन्होंने बताया केवल लक्ष्मी प्राप्त करना ही जीवन का लक्ष्य नहीं होना चाहिए बल्कि केवल अच्छा कार्य के बारे में सोचना चाहिए फल के लिए नहीं। उन्होंने बताया कि डॉ रक्षित ने किस प्रकार इस महाविद्यालय का नाम हर क्षेत्र में रोशन किया, बल्कि जशपुर जिले के अग्रणी महाविद्यालय को और भी अग्र दिशा में ले गये, उन्होंने उनके शासकीय जीवन को 10 वर्ष और बड़ाने के लिए अनुरोध किये, साथ ही उनके अब तक के उनके शानदार शासकीय सेवा के लिए बधाई दी एवं उज्जवल भविष्य के लिए कामना किये।
महाविद्यालय के कर्मचारी एवं अधिकारीयों के विदाई गायन सबको अश्रुपूर्ण कर दिए।
कार्यक्रम को और दिलचस्प एवं रंग भरने और रोते चेहरे को हँसाने का कार्य महाविद्यालय के छात्र छात्राओं ने जिसमे वनस्पति शास्त्र, रसायन शास्त्र, इतिहास एवं अन्य विभाग के छात्र छात्रों ने मिलकर अपने शानदार एवं अविस्मरणीय प्रस्तुति के साथ समस्त अतिथियों को भाव विभोर कर दिया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ विजय रक्षित ने कहा मैं सेवानिवृत्त होने पर बहुत खुश हूँ, लेकिन मुझे काम की सहजता और ऐसे प्रतिभाशाली सहयोगियों की उदारता की कमी खलेगी। पिछले कई सालों से मुझे दिए गए आपके सहयोग को महत्व देता हूँ। हर दिन आपकी कड़ी मेहनत ने मुझे जितना मैं बता सकता हूँ, उससे कहीं ज़्यादा मदद की है। आप हमेशा संगठित और उत्साही रहते हैं। उन्होंने कहा कि आने वाला समय अब नयी शिक्षा नीति का हैं जिसके लिए आप सबो को हमेशा तत्पर एवं आगे रहना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि मुझे इस महाविद्यालय से बहुत लगाव रहा हैं, यह महाविद्यालय मेरा जन्मभूमि, कर्मभूमि एवं यही से सेवानिवृत हो रहा हूं। उन्होंने आज अपने सम्पूर्ण शासकीय जीवन के अनुभवो को साझा किये।उन्होंने डॉ बी एन उपाध्याय के द्वारा किये गये मार्गदर्शन को सराहा। और उपस्थित सभी लोगो धन्यवाद दिया और महाविद्यालय को और भी सफलता के क्रम में आगे बढ़ने के लिए शुभकामनाएँ दिए !”
कार्यक्रम के अंत में सम्मान साल, श्रीफल महाविद्यालय के वरिष्ठ प्राध्यापक डॉ यूँ एन लकरा, डॉ ए के श्रीवास्तव, ए आर वैरागी, प्रोफ भगत, डॉ के के प्रसाद, डॉ. अमरेंद्र द्वारा डॉ रक्षित को भेट दिया गया।
कार्यक्रम का आभार प्रदर्शन डी आर राठिया , विभागाध्यक्ष वनस्पति शास्त्र द्वारा किया गया। उन्होंने सभी सम्माननीय अतिथियों एवं उपस्थित समस्त लोगो का आभार जताया आगे उन्होंने कहा कि डॉ रक्षित का जाना हमारे लिए बहुत दुखद है, लेकिन हमें विश्वास है कि वे भविष्य में ऐसे ही महाविद्यालय परिवार के नेतृत्व में अपना सहयोग करते रहेंगे, हम उनके उज्ज्वल भविष्य के लिए उन्हें शुभकामनाएं देते हैं और आशा करते हैं कि वे हमेशा यहां बिताए अपने पल को याद रखेंगे। हमें विश्वास है कि वे आगे के जीवन में सकारात्मक प्रभाव डालना जारी रखेंगे और हमेशा छत्तीसगढ़ के उच्च शिक्षा विभाग एवं महाविद्यालय के सच्चे रत्नों के रूप में याद किए जाएंगे।
कार्यक्रम का सफल संचालन प्रो डी आर राठिया, गौतम सूर्यवंशी एवं लाईजेन मिंज व राजेन्द्र प्रेमी के द्वारा किया गया।
इस मौके पर महाविद्यालय के प्रो जे आर भगत, कीर्ति किरण करकेट्टा, डॉ विनय कुमार तिवारी, डॉ ए आर पैंकरा, रिजवाना खातून, आइलीन एक्का, श्रीमती ज्योति तिर्की, सरिता निकुंज, डॉ जगरानी पुष्पा कुजूर, विश्वनाथ प्रताप सिंह, प्रवीण सतपति, डॉ हरिकेश कुमार, प्रिन्सी कुजूर, अंजीता कुजूर,मनोरंजन कुमार, वरुण श्रीवास, महाविद्यालय के कर्मचारी बी आर भारद्वाज, श्रीमती खलखो, मिश्रा प्रसाद सिंह, रविंद्र सिंह, एस एन सिंह, महेश राम, ज्योति तिड़ू, सुनील चौहान, दिलेश्वर छतरिया, सुभास टोप्पो इत्यादि एवं अतिथि विद्वान नितेश गुप्ता, कौशल चंद्रवंशी, अनुग्रह एक्का , विनीता करकेट्टा, शगुप्ता खातून, विद्यावती भगत एवं महाविद्यालय के छात्र संघ प्रमुख हेमराज एवं समस्त छात्र छात्राएं शामिल रहे।
विदित हो कि डॉक्टर विजय रक्षित विगत तीन दशक से भी ज्यादा समय से अध्ययन अध्यापन एवं प्राचार्य के पद में अपनी सेवाएं दिए हैं और शासकीय महाविद्यालय में एक छात्र के रूप में अध्ययन करते हुए इस महाविद्यालय में प्राचार्य के पद को प्राप्त कर गौरान्विनत किया है। यह भूतपूर्व छात्रों के लिए एक प्रेरणा का कार्य करता है विदित हो
जीवन परिचय
डॉ विजय रक्षित का 1959 में जन्म जशपुर नगर में ही हुआ ।यह जशपुर के अध्ययन के दौरान मेधावी छात्र रहे हैं।हायर सेकेंडरी तक कि शिक्षा जशपुर से प्राप्त कर उच्च शिक्षा एम ए पीएचडी की उपाधि रविशंकर विश्वविद्यालय रायपुर से प्राप्त किया हैं ।
शासकीय सेवा– प्रथम नियुक्ति इतिहास विषय के सहायक प्राध्यापक के रूप में 1982 में शासकीय महाविद्यालय चाम्पा में हुई थी और वर्तमान में प्राध्यापक के पद पर कार्यरत स्नातकोत्तर प्राचार्य के पद पर कार्यरत हैं। लगभग 31 वर्ष तक सहायक प्राध्यापक के रूप में काम किया और स्नातकोत्तर में 35 वर्ष का इनका अध्यापन अनुभव रहा है। प्रशासनिक अनुभव —- लंबे समय से प्राचार्य के पद पर कार्यरत रहे 2007 से ही शासकीय महाविद्यालय कुनकुरी, शासकीय राम भजन राय महाविद्यालय जशपुर शासकीय कन्या महाविद्यालय जशपुर और विगत में 2018 से पी जी प्राचार्य के पद पर शासकीय अग्रणी महाविद्यालय जशपुर नगर में कार्यरत हैं विश्वविद्यालय के महत्वपूर्ण दायित्वों का इन्होंने लंबे समय से अनुभव रहा है जहां यह कार्य परिषद सरगुजा विश्वविद्यालय अंबिकापुर के सदस्य रहे हैं वहीं इतिहास अध्ययन मंडल के अध्यक्ष सरगुजा विश्वविद्यालय अंबिकापुर में संकाय अध्यक्ष कला संकाय के पद पर भी इन्होंने कार्य किया है और वर्तमान में है कार्य परिषद सरगुजा विश्वविद्यालय अंबिकापुर के सदस्य के रूप में कार्यरत हैं
राष्ट्रीय सेवा योजना और इनका जुड़ाव— राष्ट्रीय सेवा योजना के अनुभव के तौर पर कार्यक्रम अधिकारी के रूप में लगभग 16 वर्ष का रहा जिला संगठन के रूप में यह 2002 से 2011 तक लगातार कार्यरत कर रहे इकाई स्तरीय शिविर आयोजन में 16 विशेष शिविर में भाग लिया है जहां जिला स्तरीय के पांच शिविर वहीं विश्वविद्यालय स्तर के पांच शिविर और राज्य और राष्ट्रीय स्तर के शिविरों में इनका महत्वपूर्ण योगदान रहा है ।यह गुरु घसीदास विश्वविद्यालय के पी.एचडी. इतिहास के शोध निर्देशक थे और उनके अंतर्गत कई छात्रों को पी. एचडी. की उपाधि प्राप्त हुई है. और वर्तमान
शोध कार्य पर लगातार कार्य कर रहें हैं। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के द्वारा लगातार शोध कार्य के क्षेत्र में उनकी एक उत्कृष्ट भूमिका रही है उरांव जनजाति की धुमकुरिया व्यवस्था पर विश्वविद्यालय अनुदान आयोग नई दिल्ली के द्वारा इन्होंने अपने शोध कार्य को पूरा किया है ,वहीं संस्कृति और पुरातत्व विभाग छत्तीसगढ़ शासन द्वारा जशपुर जिले के इतिहास एवं पुरा संपदा का लेखन सर्वेक्षण एवं प्रलेखन का कार्य पूर्ण किया है ।जशपुर एक अध्ययन पर विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के लघु शोध परियोजना पर भी इन्होंने कार्य किया है ।विभिन्न संगोष्ठी में भाग के तहत ग्वालियर ,रायगढ़, अंबिकापुर ,जयपुर खरसिया, चाम्पा रायगढ़ और विभिन्न स्थानों पर इन्होंने 90 से भी अधिक शोध पत्र इनका प्रकाशित हुआ है। शोध पत्र और वाचन में भारत छोड़ो आंदोलन और रायपुर के ऊपर इनका विशेष कार्य रहा है। राष्ट्रीय आंदोलन में जनजातियों की योगदान , कोरवा जनजाति के अर्थव्यवस्था ,संथाल विद्रोह ,जल प्रदूषण की समस्या ,जशपुर जिले के विशेष संदर्भ में छत्तीसगढ़ राज्य की जनजातीय समस्या एवं विकास ,भारत छोड़ो आंदोलन में पिछड़ी जातियों का योगदान, उरांव जनजाति 1857 का विद्रोह और झारखंड, जशपुर जिले के पुरातात्विक स्थल,मानव अधिकार की अवधारणा का विकास क्रम ,छत्तीसगढ़ में उच्च शिक्षा की चुनौतियां, प्रजातंत्र के जनकल्याण के लिए भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन ,औद्योगिक विकास के प्रभाव, वैश्विक उच्च शिक्षा एवं भारत 21वीं शताब्दी में उसे शिक्षा मानवाधिकार का कमजोर पक्ष , जनजाति समुदाय में जनी शिकार जैसे विभिन्न कार्यक्रमों विभिन्न लघु शोध प्रबंध किया ।इन्होंने रिसर्च पेपर लिखा है कार्यक्रम अधिकारी के रूप में जहां यह गुरु घसीदास विश्वविद्यालय बिलासपुर में कार्यरत रहे ,वहीं जिला संगठन के रूप में पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय में भी उन्होंने ग्रामीण विकास हेतु सूक्ष्म नियोजन और सूचना का अधिकार विषय पर प्रशिक्षण में भाग लिया है और जिला संगठन के रूप में इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर में भी प्रशिक्षण प्राप्त किया ।प्राचार्य के पद पर छत्तीसगढ़ प्रशासन अकादमी रायपुर में 2007 में एवं 2019 मे इन्होंने प्राचार्य के पद पर प्रशिक्षण प्राप्त किया है। वहीं छत्तीसगढ़ ह्यूमन डिपार्टमेंट से भी उन्होंने प्राचार्य के पद में प्रशिक्षण प्राप्त किया है इन्हें विभिन्न पुरस्कार और सम्मान शासन द्वारा प्राप्त हुए जिसमें उत्कृष्ट जिला संगठन के रूप में उच्च शिक्षा विभाग के द्वारा और विभिन्न सामाजिक संगठनों के द्वारा इन्हें पुरस्कृत किया गया ।उनके कार्यों के लिए इन्हें याद किया गया।