ग़ज़ल :- तुमसे इश्क़ है
मोना चंद्राकर मोनालिसा रायपुर छत्तीसगढ़
दिन भर तुम्हें सोचते रहना भी इश्क़ है
तुमसे ख्यालों में बातें करना भी इश्क़ है
तुम्हारे बिना बहुत बेचैन रहती है ये निगाहें
आने की आहट पा निकलना भी इश्क़ है
तुम्हें एक बार देख कर दिन अच्छा गुजरता है
रोज़ तुम्हारा चुपके से मुझे देखना भी इश्क़ है
रात भर ये सोचना की तुम क्या सोचते हो
और सुबह तुम्हारा दीदार होना भी इश्क़ है
रोज़ ख्वाबों में मुलाकातें होती हैं तुमसे
कभी हकीक़त में तुमसे मिलना भी इश्क़ है
आज आंखों ही आंखों में तुमसे मेरी बात हुई
बिना मिले आंखों में ही मिलना भी इश्क़ है