कान्हा के लिए प्रेम गीत लिखना चाहती हूँ

मोना चन्द्राकर मोनालिसा रायपुर छत्तीसगढ़

कान्हा के लिए प्रेम गीत लिखना चाहती हूँ

बांसुरी की धुन में खो जाना चाहती हूं
गोपी बन‌ कान्हा संग नृत्य करना चाहती हूं
कान्हा के मधुर प्रेम रस में डूबना चाहती हूं
कान्हा के लिए प्रेम गीत लिखना चाहती हूं


कान्हा की अंखियों का काजल बनना चाहती हूं
उनके चरण कमलों की नुपुर बनना चाहती हूं
जग सारा छोड़ कर उसमें समाना चाहती हूं
कान्हा के लिए प्रेम गीत लिखना चाहती हूं

कान्हा के संग वन‌ में गय्या चराना चाहती हूं
आंख मिचौली खेल संग उसके, सखी बनना चाहती हूं
सुबह शाम नाम लेकर श्याम का श्यामा बनना चाहती हूं
कान्हा के लिए प्रेम गीत लिखना चाहती हूं

अक्षर अक्षर में नाम मैं उनके करना चाहती हूं
हर राग कविता में राधे राधे जपना चाहती हूं
उनके अलौकिक प्रेम में डूबी मैं जोगन बनना चाहती हूं
कान्हा के लिए प्रेम गीत लिखना चाहती हूं