जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी श्री स्वरूपानंद सरस्वती जी की श्रद्धांजलि सभा में शामिल हुए पूर्व मंत्री एवं विधायक श्री बृजमोहन अग्रवाल।
जगद्गुरु शंकराचार्य जी सनातन संस्कृति के रक्षक थे: बृजमोहन अग्रवाल
स्वर्गीय द्विपीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी श्री स्वरूपानंद सरस्वती जी की श्रद्धांजलि सभा का आयोजन रायपुर दक्षिण विधानसभा के टाउन हॉल में किया गया। पूर्व मंत्री एवं विधायक श्री बृजमोहन अग्रवाल भी इस श्रद्धांजलि सभा में शामिल हुए। इस दौरान शंकराचार्य स्वामी श्री स्वरूपानंद सरस्वती जी द्वारा की गई धर्म और समाज की अनंत सेवा को याद कर उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित किए।
इस अवसर पर पूर्व मंत्री एवं विधायक श्री बृजमोहन अग्रवाल जी ने कहा कि वे स्वामी जी के आशीर्वाद से वंचित रह गए। उन्होंने बताया कि लगभग 40 सालों तक शंकराचार्य जी का सानिध्य प्राप्त हुआ। उनकी भागवत कथा का आयोजन कराने का भी अवसर मिला। वे सनातन संस्कृति के संरक्षक थे। ऐसा कोई प्रश्न बना ही नहीं था जिसका जवाब उनके पास ना हो। सनातन धर्म की सेवा के लिए सनातन धर्म की रक्षा के लिए उन्होंने अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया। उन्होंने गंगा बचाओ आंदोलन का भी जिक्र किया। कहा कि दिल्ली के उस आंदोलन में देश के तीन हजार विधायकों ने दस्तखत किए थे, देश के साढ़े तीन सौ से ज्यादा सांसदों ने दस्तखत किये थे।
आगे श्री अग्रवाल कहते हैं कि जब भी देश एवं धर्म को बचाने की बात आई तब परम पूज्य स्वामी शंकराचार्य जी ने हमेशा अपने आप को प्रस्तुत किया। 99 वर्ष की आयु में भी अंतिम समय तक भी वे धर्म की सेवा में लगे रहे। एक साल पहले तक भी उनका आशीर्वाद लेने का अवसर मुझे प्राप्त हुआ। पूरे देश के साथ-साथ सबसे अधिक वे छत्तीसगढ़ में आते थे। कवर्धा की जो भूमि है वो शंकराचार्यों की भूमि रही है, जिसके कारण ही पूरे छत्तीसगढ़ को आशीर्वाद का अवसर प्राप्त हुआ है। वे देवलोक में रहकर भी हम लोगों को रास्ता दिखाते रहेंगे। उनके द्वारा दिया गया मार्गदर्शन सदैव हमारे साथ रहेगा। धर्म कि रक्षा के लिए उन्होंने अपने प्राण लगाएं हैं, परिश्रम किया है। तकलीफों के बाद भी वे अपने आश्रम तक सीमित नहीं रहे बल्कि निरंतर प्रवास से उन्होंने आदि शंकराचार्य की परम्परा को निभाया। उन्होंने कहा कि ऐसे जगद्गुरु शंकराचार्य आज हमारे बीच में नहीं हैं, देवलोक सिधार गए हैं। उन्होंने अपने परिवार, अपनी पार्टी की तरफ से उनके श्री चरणों में नमन कर श्रद्धांजलि दी।