ये वो दौर है
मोना चन्द्राकर "मोनालिसा" रायपुर छत्तीसगढ़
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ये वो दौर है...
जिसमें सिर्फ मतलब के रिश्ते होते हैं...
सच्चा प्रेम और विश्वास के अब कहां नाते होते हैं...
ये वो दौर है...
जिसमें परिवार में पैसों के लिए झगड़े होते हैं...
भाई भाई का दुश्मन है अब कहां राम लक्ष्मण होते हैं...
ये वो दौर है...
जब छोटी सी कन्या को भी...
वासना की दृष्टि से देखते हैं...
यत्र नारी पूज्यंते सिर्फ किताबों में अब छपते हैं...
ये वो दौर है...
जहां बेटे मां-बाप को वृद्धाश्रम में भेजते हैं...
मां-बाप की जो सेवा करे ऐसे श्रवण अब कहां मिलते हैं...
ये वो दौर है...
जहां छोटे एकल परिवार में ही खुशियां ढूंढते हैं...
संयुक्त परिवार के आपसी सहयोग अब कहां पाए जाते हैं...